Chhath puja in Mirzapur :- [रिपोर्टर तारा त्रिपाठी] मीरजापुर के शेरवां क्षेत्र में छठ पर्व की शुरुआत बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ हुई। इस पवित्र पर्व में महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए 36 घंटे का कठिन व्रत रखती हैं। छठ पर्व आज शाम अस्त होते सूर्य को अर्घ्य (जल चढ़ाने) के साथ शुरू हुआ, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक चलता है।
नहाय-खाय से व्रत की शुरुआत
छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें व्रत करने वाली महिलाएं पहले स्नान करके पवित्र होती हैं। इस दिन खास तौर पर शुद्ध भोजन किया जाता है। इसके बाद महिलाएं तालाब या नदी के किनारे जाती हैं और छठी मइया के लिए वेदी तैयार करती हैं। वेदी को सजाया जाता है और उसके पास महिलाएं छठी मइया की पूजा करती हैं। इस दौरान व्रती महिलाएं छठ मइया के गीत गाती हैं, जिससे माहौल में भक्तिभाव और आस्था की लहर उमड़ आती है।
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अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठ पर्व का मुख्य आकर्षण अस्त होते सूर्य और फिर अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देना होता है। छठ पर्व में सूर्य की पूजा का महत्व है, क्योंकि सूर्य को शक्ति, ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है। इस पूजा में महिलाएं तालाब या नदी के किनारे खड़ी होकर जल में उतरती हैं और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। मान्यता है कि इस पूजा से छठ मइया प्रसन्न होती हैं और परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं।
पवित्र वेदी और छठी मइया के गीत
छठ पूजा में व्रती महिलाएं छठ मइया के लिए खास वेदी तैयार करती हैं। इस वेदी को फूलों और दीयों से सजाया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं श्रद्धा से सिर झुकाती हैं और छठ मइया से अपने परिवार की खुशहाली और मंगल की कामना करती हैं। इस समय “छठी मइया तोहार महिमा अपरम्पार बा, अउर तोहही से उद्धार बा” जैसे गीत गाए जाते हैं, जो इस पर्व की गूंज को और बढ़ा देते हैं। इन गीतों में छठ मइया की महिमा का वर्णन होता है और श्रद्धालुओं के मन में आस्था का संचार होता है।
छठ पूजा की तैयारियां
छठ पर्व के अवसर पर तालाबों और नदियों की सफाई की जाती है ताकि पूजा के समय किसी तरह की असुविधा न हो। व्रती महिलाएं और उनके परिवारजन पूजा के लिए सूप, दउरा (बांस की बनी टोकरी), फलों और अन्य पूजा सामग्रियों का इस्तेमाल करते हैं। बाजार में इन चीजों की खूब मांग रहती है और त्योहार के कारण इनके दाम भी बढ़ जाते हैं। पूजा में उपयोग होने वाले सूप और दउरा को खासतौर पर पूजा के लिए सजाया जाता है। लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें खरीदते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं।
बिहार से शुरू होकर अन्य राज्यों में लोकप्रियता
छठ पर्व की शुरुआत बिहार से मानी जाती है, लेकिन आज यह पर्व पूरे भारत में, खासतौर से उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में भी धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल इस पर्व के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास बढ़ता जा रहा है। यह पर्व अब केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य राज्यों में भी इस पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।
आस्था का पर्व
छठ पर्व न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह आस्था, विश्वास और परिवार के प्रति प्रेम का प्रतीक भी है। इस पर्व में व्रती महिलाएं अपनी इच्छाओं की पूर्ति और परिवार की खुशहाली के लिए कठिन तप करती हैं। बिना कुछ खाए-पिए वे 36 घंटे का व्रत करती हैं, जो उनके विश्वास और समर्पण को दर्शाता है। इस पर्व का हर एक हिस्सा, चाहे वह नहाय-खाय हो, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देना हो या उगते सूर्य को अर्घ्य देना, सब में विशेष महत्ता है।
छठ पूजा का यह चार दिवसीय पर्व परिवार और समाज को एकजुट करता है। लोग एक साथ मिलकर इसे मनाते हैं, तालाबों और नदी किनारों पर पूजा की जाती है, और व्रती महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करती हैं। छठ मइया का आशीर्वाद पाने के लिए सभी लोग श्रद्धा से इस पूजा में शामिल होते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
Author: Suryodaya Samachar
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