Jaya Kishori News :- जया किशोरी, एक प्रसिद्ध कथावाचक और आध्यात्मिक मार्गदर्शिका, जिन्हें उनके उपदेशों और भक्ति गीतों के लिए जाना जाता है, अक्सर “मोह माया त्याग दो” जैसे कथनों से लोगों को जागरूक करती हैं। उनके अनुयायी उन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ सुनते हैं। लेकिन हाल ही में, उनका एक ऐसा मामला चर्चा का विषय बन गया है, जिसने उनके विचारों और उनके व्यक्तिगत जीवन के बीच एक बड़ी खाई का संकेत दिया है।
बैग की कीमत और विवाद
जया किशोरी के पास एक “Christian DIOR” ब्रांड का बैग है, जिसकी कीमत दो लाख रुपये से अधिक है। यह ब्रांड उच्च श्रेणी के फैशन और लक्ज़री उत्पादों के लिए जाना जाता है। उनके इस बैग का इस्तेमाल करना, खासकर तब जब वे मोह-माया के त्याग की बात करती हैं, उनके अनुयायियों के लिए चौंकाने वाला है।
आध्यात्मिक गुरु और कथावाचक के रूप में, जया किशोरी का यह पहनावा उनके उपदेशों के साथ मेल नहीं खाता। यह उनके अनुयायियों के बीच प्रश्न उठाता है कि क्या वे अपने विचारों पर खरे उतर रही हैं या केवल भौतिक वस्तुओं के पीछे भाग रही हैं।
Jaya Kishori News : गाय की पूजा और प्रोडक्ट्स का निर्माण
इसी विवाद का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि “Christian DIOR” कंपनी अपने उत्पादों में गाय की चमड़ी का उपयोग करती है। भारत में गाय को पवित्र माना जाता है, और इसे देवी-देवताओं का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, जब एक कथावाचक जो गाय की पूजा करने की बात करती है, वह उसी कंपनी का बैग इस्तेमाल कर रही है, जो गाय की चमड़ी का उपयोग करती है, तो यह एक गंभीर विवाद बन जाता है।
यह एक बड़ा विरोधाभास है, जहां एक ओर वे गाय की पूजा और उसकी रक्षा की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर वे उस ब्रांड का समर्थन करती हैं जो इसकी चमड़ी का इस्तेमाल करता है। इससे उनके अनुयायियों में भ्रम और असंतोष पैदा हुआ है। क्या यह दोहरी मानसिकता है? क्या वे अपने विचारों से पीछे हट रही हैं?
अनुयायियों की प्रतिक्रिया
इस विवाद ने जया किशोरी के अनुयायियों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि एक व्यक्ति अपनी पसंद के अनुसार जीने का अधिकार रखता है। वहीं, कई लोग यह महसूस करते हैं कि एक आध्यात्मिक नेता के रूप में, उन्हें अपने विचारों और कार्यों के बीच सामंजस्य बनाना चाहिए।
यह प्रश्न उठता है कि क्या केवल उपदेश देना ही पर्याप्त है या फिर अपने जीवन में भी उन उपदेशों का पालन करना आवश्यक है? जब एक सार्वजनिक व्यक्ति, खासकर एक धार्मिक नेता, ऐसा करता है, तो उनके अनुयायी उन्हें रोल मॉडल मानते हैं और उनसे प्रेरित होते हैं।
Jaya Kishori News : समाज में नैतिकता का महत्व
इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हमें अपने विचारों और आचार-व्यवहार में ईमानदार रहना चाहिए। एक ऐसी दुनिया में जहां भौतिकता और भक्ति के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो गया है, यह जरूरी है कि हम अपने आदर्शों के प्रति वफादार रहें।
जब हम किसी भी आध्यात्मिक मार्गदर्शक की बात सुनते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने कार्यों और विचारों के साथ संगत होना चाहिए। यही कारण है कि जया किशोरी के इस मामले ने एक बड़े नैतिक प्रश्न को जन्म दिया है।
जया किशोरी का यह मामला केवल उनके व्यक्तिगत जीवन का नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक और नैतिक प्रश्न का प्रतिनिधित्व करता है। “मोह माया त्याग दो” की बात करने वाली कथावाचक जब भौतिक वस्तुओं का सेवन करती हैं, तो इससे उनके अनुयायियों में भ्रम पैदा होता है।
कृष्ण भक्ति के लिए फेमस हैं ‘जया किशोरी’
बता दें कि 13 जुलाई 1995 में राजस्थान के एक छोटे से गांव सुजानगढ़ में गौड़ ब्राह्मण परिवार से जन्मीं जया किशोरी का वास्तविक नाम जया शर्मा है। 6-7 साल की उम्र में ही उनका आध्यात्मिक सफर शुरू हो गया था। बताया जाता है कि दादाजी से भगवान कृष्ण की कथा-कहानियां सुना करती थीं। मात्र 9 साल की उम्र में जया किशोरी ने लिंगाष्टकम, शिव तांडव स्त्रोत, मधुराष्टकम्रा, शिवपंचाक्षर स्तोत्रम्, दारिद्रय दहन शिव स्तोत्रम् जैसे कई स्त्रोत कंठस्थ याद कर लिए थे। श्रीकृष्ण के प्रति गहरी आस्था और प्रेम होने के कारण उनके गुरु गोविंद राम मिश्रा ने उन्हें किशोरी की उपाधि दी थी। कृष्ण प्रसंग, भजन, भागवत और राजस्थान के फेमस ‘नानी बाई रो मायरो’ सुनने के लिए लोग उन्हें आमंत्रित करते हैं।
ट्रोर्ल्स ऐसे साध रहे हैं निशाना
इस वीडियो के वायरल होने के बाद ट्रोर्ल्स उन शब्दों के जरिए जया किशोरी पर निशाना साध रहे हैं, जिसमें वो अक्सर कहती सुनाई देतीं हैं कि ‘ये शरीर नश्वर है , मोह माया का त्याग करना चाहिए, सांसारिक माया छोड़ प्रभु से मोह लगाना चाहिए’। एक आम इंसान नाम के यूजर ने तंज कसते हुए लिखा कि ‘इतने महंगे झोला में ज्यादा सामान आवे है का? हमारे यहां इतने बड़े थैला में इत्ता सामान आराम से आ जाएगा कीमत मात्र 10 रुपया और हम यूरिया के कट्टे का घर पर भी सिल लेते हैं’। वहीं ट्विटर पर विकास चौहान नाम के यूजर ने लिखा है कि ‘ये शरीर नश्वर है? तो फिर क्यों हम सब शौपिंग के लिए इतना मेहनत कर रहे हैं?
यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने विचारों को सच्चाई और ईमानदारी से जीने का प्रयास करें। धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके अनुयायी उनसे क्या सीखते हैं और वे अपने कार्यों से किस प्रकार का संदेश देते हैं।
इस प्रकार की चर्चाएं हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है, और हमें अपने विचारों और कार्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है।
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Author: Suryodaya Samachar
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