उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती : 69000 शिक्षक भर्ती से जुड़े मामले में हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा कुछ आदेश दिए गए हैं, जिससे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चिंता बढ़ी है। केशव मौर्य ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेशों का सम्मान करती है और इस संबंध में सभी आवश्यक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य योग्य और पात्र उम्मीदवारों को नौकरी दिलाना है और किसी भी प्रकार की अनियमितता को दूर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चिंता बढ़ने का कारण यह है कि यह मामला अब कानूनी विवादों में फंस गया है, जिससे भर्ती प्रक्रिया में देरी हो सकती है। सरकार इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश कर रही है ताकि योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिल सके और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
सरकार के सामने क्या विकल्प?
इस फैसले को लेकर सरकार के सामने दोनों ही विकल्प हैं, लेकिन दोनों ही विकल्पों की अपनी चुनौतियां भी हैं। अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो सरकार पर पिछड़ा विरोधी और आरक्षण की अनदेखी होने का आरोप लगाया जा सकता है। अगर सरकार नई मेरिट लिस्ट जारी करती है तो जो अभ्यर्थी सफल होकर नौकरी कर रहे हैं तो उनकी नौकरी पर तलवार लटक सकती है यानि कि उनकी नौकरी खतरे में आ सकती है।
अपने और विपक्षी दोनों हमलावर
योगी सरकार के लिए शिक्षक भर्ती मामला गले की फांस बनता जा रहा है। इस मामले में योगी सरकार के अपने और विपक्षी दोनों हमलावर हैं। सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं’।
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Author: Avantika Singh



