Unnao news :- उन्नाव में गंगा नदी में डूबे आदित्यवर्धन सिंह का शव 9 दिनों बाद मिलना एक दुखद घटना है। आदित्यवर्धन सिंह, जो कि हेल्थ विभाग में डिप्टी डायरेक्टर थे, सेल्फी लेते समय नदी में बह गए थे। उनकी पत्नी श्रेया मिश्रा महाराष्ट्र में जज हैं।
परिवार और मित्रों को गहरा दुख
इस घटना ने परिवार और मित्रों को गहरा दुख पहुंचाया है। शव की पहचान के बाद, पुलिस ने इसे कानपुर में गंगा बैराज के गेट नंबर 1 से बरामद किया। इस समय परिजनों को सूचित किया गया और उनके दोस्त संतोष पटेल ने शव की पहचान की। इस घटना की विस्तृत जांच की जा रही होगी, और संबंधित अधिकारियों द्वारा स्थिति का जायजा लिया जाएगा।
उन्नाव में आदित्यवर्धन सिंह के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नवाबगंज भेजा गया है। शव को गांव लाकर नानामऊ घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा, जहां वे डूबे थे। इस घटना के बाद, जज की खोज के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, और पीएससी के 200 से ज्यादा जवानों ने सर्च ऑपरेशन चलाया। करीब 45 किमी क्षेत्र में गंगा में तलाश की गई और ड्रोन का भी उपयोग किया गया। हालांकि, सात दिन की सर्च ऑपरेशन के बावजूद शव नहीं मिला था, जिसके बाद गंगा में सर्च ऑपरेशन को समाप्त कर दिया गया था। पुलिस ने हर घाट पर तीन-तीन पुलिसकर्मियों और एक दरोगा को तैनात किया था।
बांगरमऊ के कबीरपुर गांव के मूल निवासी
आदित्यवर्धन सिंह बांगरमऊ के कबीरपुर गांव के मूल निवासी थे और लखनऊ के इंदिरानगर में रहते थे। 31 अगस्त को, वे अपने दो दोस्तों प्रदीप तिवारी और योगेश्वर मिश्रा के साथ कार से बिल्हौर के नानामऊ घाट पर गए थे, जो उनके गांव के पास था।
गहरा पानी में सेल्फी लेने का प्रयास
उनका गहरा पानी में सेल्फी लेने का प्रयास ओवरकॉन्फिडेंस के चलते दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे वे डूब गए। हालांकि उन्हें तैरना आता था, लेकिन इस हादसे ने उनके जीवन की गहरी क्षति दी है।
आदित्यवर्धन सिंह के परिवार की स्थिति बेहद कठिन और दर्दनाक रही। उनके चचेरे भाई अनुपम कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सचिव हैं, और भाभी प्रतिमा सिंह भी बिहार कैडर की IAS अधिकारी हैं। उनकी बहन प्रज्ञा ऑस्ट्रेलिया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जबकि उनके माता-पिता भी ऑस्ट्रेलिया में थे जब हादसा हुआ।
जब उन्हें बेटे की डूबने की खबर मिली, तो वे जल्दी से उन्नाव पहुंचे। सर्च ऑपरेशन के दौरान, आदित्यवर्धन के पिता रमेश चंद्र, मां शशि प्रभा, और बहन प्रज्ञा घाट पर चार दिन तक लगातार मौजूद रहे, हालांकि शव की पहचान नहीं हो पाई। परिवार इस समय बहुत दुखी और मानसिक तनाव में था, और जब तक शव नहीं मिला था, उन्हें मान्यता नहीं मिल रही थी कि उनका बेटा नहीं रहा।
यह भी पढ़ें :- ⬇️

Author: Suryodaya Samachar
खबर से पहले आप तक



