Sonbhadra news :- [सोनभद्र से ब्यूरो चीफ रामेश्वर सोनी की रिपोर्ट] शिक्षा और संस्कारों के संयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है, इसी उद्देश्य को लेकर प्राथमिक विद्यालय चकौली में शारदा संगोष्ठी एवं वार्षिकोत्सव का आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया और अतिथियों ने उन्हें प्रोत्साहित कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि ए.आर.पी. डॉ. मिथिलेश द्विवेदी और विशिष्ट अतिथि शिक्षक संकुल श्री नर्वदेश्वर प्रसाद पाठक द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं पूजन के साथ हुआ। इसके बाद विद्यालय के बच्चों ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर अतिथियों का अभिनंदन किया।
बच्चों की रंगारंग प्रस्तुतियां
विद्यालय के विद्यार्थियों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनमें नृत्य, कविता पाठ और नाटक शामिल थे। इन प्रस्तुतियों ने न केवल उपस्थित अतिथियों और अभिभावकों का मन मोहा, बल्कि बच्चों की कला और आत्मविश्वास को भी दर्शाया। बच्चों के द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक और आधुनिक गीतों पर आधारित नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।
प्रतिभाशाली बच्चों का सम्मान
ए.आर.पी. डॉ. मिथिलेश द्विवेदी ने विद्यालय के उन विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया, जिन्होंने शिक्षा, अनुशासन और उपस्थिति में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसके साथ ही विद्यालय में सर्वाधिक उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्रों को भी सम्मानित किया गया। उन्होंने बच्चों को मेहनत और लगन से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया और उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
विद्यालय प्रबंधन और अभिभावकों की सहभागिता
विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री कृष्णानंद मिश्र ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया, जबकि श्री ओमकार नाथ ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रविंद्र कुमार, प्राथमिक विद्यालय नोनी के प्रधानाध्यापक श्री विभूति नारायण सिंह, सहायक अध्यापक राजेश कुमार, विद्यालय के समस्त शिक्षकगण, अभिभावक श्री ज्वाला प्रसाद शुक्ल, एवं अन्य ग्रामीणजन उपस्थित रहे। सभी ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया और विद्यालय में बच्चों की नियमित उपस्थिति बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
समाज और शिक्षा के प्रति जागरूकता
कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों और अतिथियों ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजें। बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करने और उन्हें एक उज्जवल भविष्य प्रदान करने के लिए विद्यालय, शिक्षक, अभिभावक और समाज को एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
उत्सव का समापन
इस शानदार आयोजन का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। विद्यालय प्रबंधन ने यह संकल्प लिया कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे बच्चों की प्रतिभा को निखारने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने का अवसर मिले।
इस आयोजन ने यह साबित किया कि जब शिक्षा और संस्कृति का संगम होता है, तो बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होता है।
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Author: Suryodaya Samachar
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