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सामाजिक समरसता इस देश की पहचान- जीत सिंह खरवार

सामाजिक समरसता :- [रिपोर्टर सुजीत सिंह] सनातन संस्कृति में आदिकाल से सामाजिक समरसता एवं सद्भाव परिलक्षित होता रहा है। वसुधैव कुटुंबकम हमारी सांस्कृतिक विरासत है, यह देश राम और कृष्ण की धरती है, राम ने शबरी का जूठा बेर और कृष्ण ने विदुर के घर साग रोटी खाकर समरसता एवं प्रेम का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। यह बातें सामाजिक संस्था प्रबुद्धजन काशी न्यास द्वारा आयोजित सनातन संस्कृति में सामाजिक समरसता विषयक संगोष्ठी एवं समान समारोह में अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष जीत सिंह खरवार ने बतौर मुख्य अतिथि कहीं।

उन्होंने आगे कहा कि प्रयागराज का महाकुंभ सामाजिक समरसता का सबसे सुंदर और प्रत्यक्ष उदाहरण है एक साथ सभी जाति सभी वर्ग के लोग संगम पर डुबकी लगाकर रहे हैं और कुम्भ क्षेत्र में कल्पवास में एक साथ भजन भाव करते हुये प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। मुख्य वक्ता श्रवण सिंह गौर ने कहा सर्वे भवंतु सुखिनः सनातन संस्कृति की मूल भावना है, संगठन में शक्ति है एकता में बल है, हम सभी को यह बातें स्मरण रहनी चाहिए। देश विरोधी ताकते समाज को बांटने का कुचक्र रच रही हैं, जिससे हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता देव कुमार राजू ने किया।

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समाज में सेवा का विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत करने वाले शिक्षक रमाशंकर तिवारी, पत्रकार नवीन प्रधान, चिकित्सक भवानी शंकर, सतीश तिवारी एडवोकेट, बॉक्सिंग कोच गोपाल बहादुर शाही, शशिकला गुप्ता ,समाजसेवी तेज बहादुर मौर्य, वीरेंद्र सोनकर ,चार्टर्ड अकाउंटेंट चंदन चौबे, गुरु प्रसाद सभी को प्रबुद्ध श्री सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय सिंह गौतम एवं धन्यवाद ज्ञापन लोकपति सिंह ने किया। इस अवसर पर नंदलाल यादव ,सर्वजीत शाही, किशोर कपूर, रितेश श्रीवास्तव, ठाकुर कुश प्रताप सिंह, डॉ सत्येंद्र मिश्र, महेश्वर सिंह, विनय शंकर राय मुन्ना ,सुरेंद्र पटेल, जितेंद्र सिंह ,अरुण कुमार सिंह ,सत्येंद्र सिंह, रामटहल मौर्य, दिनेश सिंह आदि लोगों ने भी विचार व्यक्त किया।

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Author: Suryodaya Samachar

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