Rambhadracharya’s stand : [रिपोर्टर सुजीत सिंह] अध्यक्षता करते हुए संत रामभद्राचार्य ने सुल्तानपुर के विजेथुआ धाम पर आयोजित हनुमान महोत्सव के दूसरे दिन ज्ञानवापी और मंदिरों के अधिग्रहण के मुद्दे पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी का मामला केवल आस्था का नहीं, बल्कि मंदिरों के संरक्षण का भी है। उन्होंने कहा कि अगर अन्य धार्मिक स्थलों, जैसे चर्च और मस्जिदों, का अधिग्रहण नहीं हो रहा, तो हिन्दू मंदिरों के साथ भेदभाव क्यों हो रहा है?
संत रामभद्राचार्य ने कहा कि वह इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय तक जाएंगे और न्याय के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। उनका मानना है कि यह मुद्दा न केवल उनके लिए बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के साथ हो रहे इस प्रकार के अन्याय को समाप्त करना आवश्यक है, ताकि मंदिरों की पवित्रता और परंपरा संरक्षित रह सके। उन्होंने यह भी कहा कि वह सरकार से निवेदन करेंगे कि वह इस विषय पर सकारात्मक कदम उठाए और मंदिरों को उसी प्रकार संरक्षण दे जैसा कि अन्य धार्मिक स्थलों को दिया जा रहा है।
अपने विचार किए व्यक्त
हनुमान महोत्सव के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए, रामभद्राचार्य ने कहा कि मंदिरों के अधिग्रहण से हिन्दू समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर पर असर पड़ रहा है। उन्होंने विशेष रूप से ज्ञानवापी का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल एक मंदिर ही नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी परंपरा और आस्था का प्रतीक है, जिसे सुरक्षित रखना हर हिन्दू का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जब तक यह मंदिर संरक्षित नहीं रहेगा, तब तक हिन्दू समाज का आत्म-सम्मान भी सुरक्षित नहीं रहेगा।
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वृंदावन मामले पर भी दिया बयान
वृंदावन मामले पर उन्होंने कहा कि जब उन्हें कोर्ट में बुलाया जाएगा, तब वह अपना पक्ष पूरी गंभीरता से रखेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि उनके तर्क उच्च न्यायालय को सही दिशा प्रदान करेंगे और न्यायालय के दृष्टिकोण में बदलाव ला सकेंगे। रामभद्राचार्य ने इस मुद्दे पर अपनी उम्मीद जताते हुए कहा कि हिन्दू संस्कृति और मंदिरों की सुरक्षा के लिए उनका संघर्ष निरंतर जारी रहेगा।
रामभद्राचार्य का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद और मंदिर के विवाद में जो भी न्यायोचित कदम उठाए जा सकते हैं, वह उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब तक हिन्दू मंदिरों को सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक भारतीय संस्कृति सुरक्षित नहीं रहेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि मंदिरों का अधिग्रहण रोका जाना चाहिए, और इसके लिए हर हिन्दू को जागरूक होना होगा।
रामभद्राचार्य के बयान पर विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनके विचारों से सहमति जताते हुए कुछ संगठनों ने कहा कि मंदिरों के संरक्षण का मुद्दा राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा है। सुल्तानपुर में हुए इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे, जिन्होंने रामभद्राचार्य के विचारों का समर्थन किया।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा में संत समाज का योगदान हमेशा अहम रहा है, और आज भी वह उसी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तत्पर हैं। उनका कहना है कि मंदिरों के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता लाई जाए। हनुमान महोत्सव के दौरान भी उन्होंने समाज को इस दिशा में जागरूक करने के उद्देश्य से प्रेरणादायक संदेश दिया।
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रामभद्राचार्य ने कहा कि न्यायालय के माध्यम से यदि ज्ञानवापी और अन्य मंदिरों के संरक्षण की प्रक्रिया सफल होती है, तो यह हिन्दू समाज के लिए एक महत्वपूर्ण विजय होगी। उन्होंने अपने भक्तों और समर्थकों से अपील की कि वह इस मुद्दे पर एकजुट हों और मंदिरों के संरक्षण की दिशा में साथ मिलकर प्रयास करें।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं। उनका उद्देश्य केवल न्याय की मांग करना है और वह न्यायालय की शरण में जाकर ही इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान और न्यायपालिका पर उनका पूरा विश्वास है, और वह न्यायालय के निर्णय का सम्मान करेंगे।
हनुमान महोत्सव में रामभद्राचार्य के इस विचार ने वहां उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को प्रेरित किया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान हनुमान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की और उनके आशीर्वाद से समाज में धर्म और संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया। रामभद्राचार्य ने कहा कि यह हनुमान महोत्सव हमें साहस और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देता है।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने उपस्थित जनसमूह को किया संबोधित
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कार्यक्रम के अंत में उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दू समाज को अपनी धरोहर और संस्कृति की रक्षा के लिए सजग रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक हर व्यक्ति अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक नहीं होगा, तब तक समाज का पूर्ण विकास संभव नहीं है। रामभद्राचार्य के इस संदेश ने लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार किया और हनुमान महोत्सव में उपस्थित श्रद्धालुओं ने उनकी बातों को आत्मसात किया।
रामभद्राचार्य के इस बयान और अभियान से यह स्पष्ट हो गया है कि वह हिन्दू समाज और मंदिरों की सुरक्षा के प्रति समर्पित हैं और इसके लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। उनके इस अभियान ने समाज में एक नई सोच का संचार किया है, जो आने वाले समय में मंदिरों और धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ाएगा।
Author: Suryodaya Samachar
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