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Indian farmers union : मनमाने ढंग से क्रय केंद्रों का निर्धारण नहीं होगा

Indian farmers union : [रिपोर्टर तारा त्रिपाठी] भारतीय किसान संघ ने एक बार फिर किसानों के हितों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, सरकार और सरकारी अधिकारियों के मनमाने ढंग से क्रय केंद्रों के निर्धारण पर कड़ा रुख अपनाया है। संघ ने स्पष्ट किया है कि बिना किसानों की अनुमति के किसी भी क्रय केंद्र का निर्धारण नहीं किया जाएगा, और अगर ऐसा होता है तो किसान संघ आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। यह बातें भारतीय किसान संघ के काशी प्रांत के उपाध्यक्ष कृष्णानंद सिंह ने दुर्गा बाजार स्थित केशव भवन में आयोजित एक बैठक के दौरान कही।



सरकारी अधिकारियों पर मनमानी के आरोप

कृष्णानंद सिंह ने आरोप लगाया कि क्रय केंद्रों के निर्धारण में सरकारी अधिकारी मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं, जिससे किसानों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर, राजगढ़ ब्लॉक के सरसों सेमरी में स्थित क्रय केंद्र पिछले तीन वर्षों से बंद कर दिया गया है, बिना किसी स्पष्ट कारण के। इससे किसानों को 15 किलोमीटर दूर गोल्हनपुर में स्थित क्रय केंद्र तक जाना पड़ता है, जो उनके लिए असुविधाजनक है। यह किसानों के समय, श्रम और धन की बर्बादी है और संघ इस स्थिति को और अधिक सहन नहीं करेगा।

कृष्णानंद सिंह ने यह भी कहा कि किसानों की उपज की खरीदारी सरकार द्वारा बनाए गए मानकों के अनुसार होनी चाहिए। यदि सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो संघ बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगा। यह किसानों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा के लिए बेहद जरूरी है।

जैविक खेती और संगठन विस्तार पर जोर

भारतीय किसान संघ के जैविक प्रमुख रामनारायण सिंह ने बैठक के दौरान कहा कि संगठन को मजबूती देने के लिए गांव-गांव में कार्यकर्ताओं को सक्रिय होना पड़ेगा। उन्होंने किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता बताई। रामनारायण सिंह ने कहा कि संघ को मजबूत करने के लिए गांव के नौजवानों को संगठन में जोड़ा जाएगा। अगले तीन वर्षों में 10,000 नए सदस्यों को संघ से जोड़ा जाएगा ताकि संघ की पहुंच और प्रभाव को और व्यापक बनाया जा सके।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस समय पूरे भारत में भारतीय किसान संघ के 40 लाख सदस्य हो चुके हैं और यह संख्या निरंतर बढ़ रही है। संघ का मुख्य उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है।

धान खरीद में भेदभाव का आरोप

बैठक में काशी प्रांत के पूर्व महासचिव अखिलेश प्रताप सिंह ने भी किसानों की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि चंदौली जिले में प्रति किसान से 100 कुंतल धान की खरीद की जा रही है, जबकि मिर्जापुर में 14 कुंतल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदने का आदेश जारी किया गया है। यह नीति किसानों के हितों के विरुद्ध है, क्योंकि इससे कई किसानों की पूरी उपज खरीदने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि दीपावली के अवसर पर सभी घरों में गो-पूजन का आयोजन किया जाएगा जो भारतीय संस्कृति और ग्रामीण जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके साथ ही  चुनाव के बाद संघ किसानों की समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेगा। ज्ञापन में यह मांग की जाएगी कि किसानों की पूरी उपज की खरीद की जाए और क्रय केंद्रों का सही निर्धारण हो ताकि किसानों को लंबे सफर तय करने की आवश्यकता न पड़े।

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संगठन चुनाव: नए पदाधिकारियों की नियुक्ति

भारतीय किसान संघ के मिर्जापुर जिले में बुधवार को संघ कार्यालय केशव भवन, दुर्गा बाजार, मिर्जापुर में नए जिला अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव भी किया गया। निवर्तमान जिला अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह के प्रदेश कार्यकारिणी में चले जाने के बाद यह पद खाली हो गया था। चुनाव प्रक्रिया का संचालन चुनाव अधिकारी राम नारायण सिंह, कृष्णानंद सिंह और अखिलेश सिंह की देखरेख में हुआ।

सर्वसम्मति से जमालपुर के उपेंद्र बहादुर सिंह को जिला अध्यक्ष और राजगढ़ के ओमप्रकाश दुबे को जिला मंत्री नियुक्त किया गया। इसके अलावा, राजगढ़ जोगढ़ के निवासी बसंत लाल बिंद को कोषाध्यक्ष के पद पर मनोनीत किया गया। सभी पदाधिकारियों का संघ के सदस्यों द्वारा हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया गया।

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संघ की आगामी योजनाएं

बैठक के दौरान, संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने यह भी घोषणा की कि संघ की आगामी योजनाओं में किसानों के हितों की सुरक्षा और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए कई नई नीतियों पर काम किया जाएगा। इसके साथ ही, संघ कृषि उत्पादों के मूल्य निर्धारण और सरकारी नीतियों पर नजर रखेगा, ताकि किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके।

संघ की यह बैठक किसानों की समस्याओं को उठाने और उनके समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। भारतीय किसान संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा, और यदि आवश्यक हुआ तो बड़े स्तर पर आंदोलन का आयोजन किया जाएगा।

भारतीय किसान संघ का यह कदम निश्चित रूप से किसानों के मनोबल को बढ़ाने वाला है और आने वाले समय में इससे किसानों की समस्याओं का समाधान निकलने की उम्मीद की जा सकती है।

 

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Author: Suryodaya Samachar

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