माँ
बचपन में ही स्वर्ग सिधार गयी मेरी माँ
भूख, प्यास, चैन सब ले गयी मेरी माँ
तेरी काया का ही प्रतिरूप हूँ माँ
स्वांस बन हर क्षण संग चलती माँ
आंखों में समायी हो दिव्य प्रकाश बनकर
यादों में समायी हो एहसास बनकर
ओठों पर खिलती हो मुस्कान बनकर
हर पल संग रहती हो परछाईं बनकर
ज्ञान नाम था तुम्हारा माँ
ज्ञान प्रकाश नाम हमारा माँ
अदृश्य रूप में संग रहती हो माँ
मेरे बहाने स्वयं ही लिखती हो माँ
तेरी कृपा से बहुत कुछ है मेरे पास
बस एक ही कमी है मेरे पास
जो प्रकट रूप में संग नहीं माँ मेरे पास।
ज्ञान प्रकाश गौड़, देवगांव सफीपुर, जनपद, उन्नाव,उत्तर प्रदेश (9936385739)।

Author: Suryodaya Samachar
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