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Chief Election Commissioner :- ज्ञानेश कुमार बने नए मुख्य चुनाव आयुक्त: नियुक्ति पर उठा विवाद

Chief Election Commissioner :- सोमवार रात को ज्ञानेश कुमार को भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी और आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र ज्ञानेश कुमार को भारत का नया मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। पिछले साल 14 मार्च को चुनाव आयुक्त बनाए गए कुमार इससे पहले गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे। इस दौरान उन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उनकी यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब चुनाव आयोग की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे निष्पक्षता के खिलाफ बताया है।

विपक्ष की आपत्ति और न्यायालय में चुनौती

राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता को दरकिनार कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति बिना व्यापक सहमति के नहीं होनी चाहिए। इसी बीच, सर्वोच्च न्यायालय में इस नियुक्ति को लेकर पहले से ही एक याचिका दायर है, जिस पर दो दिन बाद सुनवाई होनी है।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल?

चुनाव आयोग भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ माना जाता है और इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठना चिंता का विषय है। विपक्ष को आशंका है कि इस तरह की नियुक्तियाँ चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह नियुक्ति सभी नियमों के तहत हुई है और चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से कार्य करता रहेगा।

आगे क्या होगा?

अब सबकी निगाहें सर्वोच्च न्यायालय पर टिकी हैं, जो इस मामले में जल्द ही सुनवाई करेगा। अगर अदालत इस नियुक्ति प्रक्रिया पर कोई कड़ी टिप्पणी या हस्तक्षेप करती है, तो यह सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। वहीं, अगर नियुक्ति बरकरार रहती है, तो विपक्ष इसे चुनावी निष्पक्षता पर खतरा बताकर आगे भी विरोध जारी रख सकता है।

आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह मामला और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। अब देखना होगा कि न्यायालय क्या रुख अपनाता है और क्या यह विवाद चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करेगा या नहीं।

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अनुभवी नौकरशाह का सफर

ज्ञानेश कुमार का प्रशासनिक अनुभव काफी व्यापक रहा है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, उन्होंने जम्मू-कश्मीर संभाग में नेतृत्व किया और केंद्र सरकार की नीतियों को प्रभावी रूप से लागू किया। उनके प्रशासनिक कौशल और रणनीतिक दृष्टिकोण को देखते हुए केरल कैडर के इस पूर्व आईएएस अधिकारी के नाम की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी।

विपक्ष का विरोध और राहुल गांधी की नाराजगी

इस नियुक्ति पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चयन प्रक्रिया को निष्पक्षता के विरुद्ध बताया और समिति की बैठक का बहिष्कार कर दिया। उन्होंने बैठक स्थगित करने की मांग की, लेकिन जब उनकी आपत्तियों पर गौर नहीं किया गया, तो उन्होंने बैठक छोड़ दी। विपक्ष का आरोप है कि यह नियुक्ति चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का इंतजार

इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर पहले से ही एक याचिका दायर है, जिस पर दो दिन में सुनवाई होनी है। अगर अदालत इस मामले में हस्तक्षेप करती है, तो यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

आगे की राह

भारत में अगले आम चुनाव को देखते हुए यह नियुक्ति राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील हो गई है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि क्या यह नियुक्ति संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुरूप है या नहीं।

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Author: Suryodaya Samachar

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