Kolkata Rape Case : कोलकाता के आरजीकर अस्पताल में हुए पोस्टग्रेजुएट डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया गया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कई बातें कहीं, और लोगों को जल्द से जल्द फोटो हटाने की बात कही।
आपको बता दें दिल्ली में साल 2012 में हुए बलात्कार मामले को निर्भय नाम दिया गया था , जिससे पीड़िता की पहचान गुप्त रहे। जजों की एक बेंच ने ये ऑर्डर पास किया है, सभी मीडिया प्लेटफॉर्म जो पहचान उजागर कर रहे हैं वह तुरंत सारे विडियो और तस्वीर वहां से हटा लें।
कौन सा लगता है सेक्शन
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) का सेक्शन 72 इस बारे मे कहता है कि कोई भी शख्स या समूह अगर किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान जाहिर करता, उसकी तस्वीरें छापता, सोशल मीडिया या टीवी पर दिखाता है, जिसके साथ यौन शोषण हुआ हो, या जिसने ये आरोप लगाया हो, ऐसे मामले में आइडेंटिटी बताने या दिखाने वाले व्यक्ति को कुछ महीनों से लेकर दो साल की कैद हो सकती है। आपको बता दें कि बीएनएस के 64 से लेकर 71 तक के सेक्शन्स के तहत महिलाओं और बच्चों के साथ रेप और यौन दुर्व्यवहार की बात बताई गई है।
कानून कब देता है छूट
बीएनएस के सेक्शन 72 में अपवाद भी दिए हैं, जब रेप पीड़िता की पहचान जाहिर करने वाले को सजा नहीं होती है। इस धारा का दूसरा हिस्सा कहता है कि जब कविता की मौत की स्थिति हो या फिर पहचान उजागर करना जरूरी हो तभी ऐसा किया जा सकता है। लेकिन इस बारे में फैसला लेने का अधिकार भी सेशन जज के स्तर या उससे आगे के स्तर के अधिकारियों को ही होगा।
शीर्ष अदालतों ने यह भी कहा है कि अगर वयस्क पीड़िता या उसके परिवार वाले चाहते हैं की पहचान उजागर हो तो यह काम बिना किसी एतराज के किया जा सकता है। ये अधिकार उनका ही होगा।
यूपी के हाथरस केस में भी कुछ लोगों ने पीड़िता की पहचान उजागर करने की कोशिश की थी।तब भी कोर्ट ने सख्ती से कहा था कि मौत के बाद भी पीड़िता या उसके परिवार की गरिमा से समझौता नहीं किया जा सकता है। ये सिर्फ तभी होगा जब इससे इंसाफ मिलने में मदद हो रही हो।
क्यों दिए जाते हैं पहचान न खोलने के निर्देश ?
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला इसलिए लिया है क्योंकि रेप पीड़िता कुछ सामान्य जीवन जीने के लिए बेहद आवश्यक है कुछ लोग पीड़िता के परिवारवाले और और पीड़िता को असंवेदनशील तरीके से जख्मों को कुरेदते हैं और उनको बार-बार याद करने की कोशिश करते हैं जिससे उनके मानसिक और सामाजिक तौर पर ठेस पहुंचती है। इसलिए कोर्ट ने इसे गुप्त रखने के निर्देश दिए हैं।
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