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(Varanasi news) कोटेदारों का संघर्ष: कमीशन वृद्धि के लिए सरकार को अल्टीमेटम

Varanasi news :- [रिपोर्टर अजय कुमार गुप्ता] राजातालाब तहसील में सोमवार को कोटेदारों ने अपने कमीशन में वृद्धि की मांग को लेकर उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से कोटेदारों ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की और अपने लिए उचित कमीशन की मांग की। इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष गिरीश तिवारी ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि देश के अन्य राज्यों में कोटेदारों को अधिक कमीशन और सुविधाएं मिल रही हैं, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार कोटेदारों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।



उत्तर प्रदेश के कोटेदारों की स्थिति

उत्तर प्रदेश के कोटेदारों को प्रति कुंतल राशन पर मात्र 90 रुपये का कमीशन मिलता है, जो कि बेहद कम है। गिरीश तिवारी ने कहा कि अन्य राज्यों जैसे गुजरात और गोवा में कोटेदारों को 20,000 रुपये का मानदेय भी दिया जाता है, जबकि उत्तर प्रदेश में ऐसा कुछ नहीं है। इससे राज्य के कोटेदारों को अपनी रोजी-रोटी चलाने में काफी कठिनाई होती है।

कोटेदारों ने बताया कि अन्य राज्यों की तुलना में उनका कमीशन काफी कम है। देश के कई हिस्सों में कोटेदारों को प्रति कुंतल राशन पर 150 से 300 रुपये तक का कमीशन दिया जाता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उत्तर प्रदेश में भी उनके कमीशन को बढ़ाकर अन्य राज्यों के स्तर पर लाया जाए, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें।

ज्ञापन में रखी गई मांगें

कोटेदारों ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे नवंबर तक प्रतीक्षा करेंगे और अगर सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो 4 दिसंबर 2024 को विधानसभा घेराव करेंगे। इसके साथ ही, वे राशन वितरण व्यवस्था को अनिश्चितकाल तक बंद कर देंगे, जिससे सरकार को मजबूर होकर उनकी मांगों पर विचार करना पड़ेगा।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि कोटेदारों की समस्याओं का समाधान न होने से उनके लिए अपनी आजीविका चलाना मुश्किल हो गया है। प्रदेश के कई कोटेदार वित्तीय तंगी से गुजर रहे हैं और इस कारण उनकी सामाजिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है।

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संगठन की ओर से ठोस कदम

कोटेदारों के संगठन ने राज्य भर में अपनी आवाज उठाने के लिए रणनीति तैयार की है। संगठन ने यह निर्णय लिया है कि प्रत्येक जिले और तहसील स्तर पर ज्ञापन सौंपा जाएगा, ताकि सरकार तक उनकी मांगें पहुंच सकें।

इस रणनीति का उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि वह कोटेदारों की मांगों पर ध्यान दे और कमीशन बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें अन्य आवश्यक सुविधाएं भी प्रदान करे। संगठन के पदाधिकारियों का मानना है कि जब तक सरकार कोटेदारों की समस्याओं का हल नहीं करती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

सरकार की उपेक्षा पर नाराजगी

कोटेदारों ने सरकार की उदासीनता पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब देश के अन्य राज्यों में कोटेदारों को बेहतर कमीशन और सुविधाएं मिल रही हैं, तो उत्तर प्रदेश के कोटेदारों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है। उनका कहना है कि वे भी सरकार की योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसके बावजूद उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है।

गिरीश तिवारी ने कहा कि कोटेदारों की मांगें पूरी तरह से जायज हैं और उन्हें सरकार द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि यदि सरकार ने कोटेदारों की मांगों पर जल्द ही सकारात्मक कदम नहीं उठाए, तो उनके संगठन को मजबूरन कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।

ज्ञापन सौंपने में प्रमुख पदाधिकारियों की भूमिका

इस ज्ञापन सौंपने के अवसर पर संगठन के कई प्रमुख पदाधिकारी और राशन विक्रेता उपस्थित थे। इनमें जिलाध्यक्ष लक्ष्मीकांत पाण्डेय, जिला उपाध्यक्ष संदीप सिंह, जिला सचिव पंकज मिश्रा, ब्लॉक अध्यक्ष सेवापुरी प्रभुनारायण पाण्डेय, ब्लॉक अध्यक्ष आराजी लाइन अरुण कुमार समेत अन्य कई पदाधिकारी शामिल थे।

इसके अलावा, इस ज्ञापन सौंपने में सैकड़ों कोटेदारों ने हिस्सा लिया और अपनी एकजुटता दिखाई। इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी कोटेदारों ने एक सुर में कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे सरकार के खिलाफ और बड़ा आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।

आंदोलन की दिशा

कोटेदारों का यह आंदोलन केवल ज्ञापन देने तक सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगों को अनदेखा किया गया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे और सरकार की वितरण व्यवस्था को पूरी तरह से बंद कर देंगे। इससे राशन वितरण में रुकावट आएगी, जिससे सरकार पर दबाव बनेगा।

कोटेदारों का यह आंदोलन सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि यदि वे इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो उन्हें जनता और कोटेदारों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।

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कोटेदारों का यह आंदोलन उनके अधिकारों और न्याय के लिए एक संगठित प्रयास है। उनका कमीशन बढ़ाना न केवल उनकी आजीविका के लिए आवश्यक है, बल्कि इससे सरकारी योजनाओं के सुचारू संचालन में भी सुधार होगा। कोटेदार अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जनता को जरूरी सुविधाएं प्रदान करते हैं, इसलिए सरकार को उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

आगामी दिनों में यदि सरकार ने कोटेदारों की मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी तो यह आंदोलन और भी व्यापक हो सकता है। कोटेदारों की एकजुटता और संघर्ष यह दर्शाता है कि वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।

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Author: Suryodaya Samachar

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