Uttar Pradesh News :- उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के मुंडेरवा नगर पंचायत में छठ पूजा के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। छठ पूजा के लिए घाट पर उमड़ी भीड़ और नगर पंचायत की अव्यवस्था ने इस पर्व की पवित्रता और आस्था को प्रभावित किया। महिलाओं और बच्चों सहित हजारों श्रद्धालु छठ घाट पर पूजा के लिए पहुंचे, लेकिन प्रशासन की तैयारी न होने के कारण इस बार यह धार्मिक अनुष्ठान श्रद्धालुओं के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।
अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही:
छठ पूजा, जिसे सूर्य देवता और छठी माता की आराधना के लिए जाना जाता है, उत्तर भारत के कई हिस्सों में अत्यधिक श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाती है। मुंडेरवा के छठ घाट पर हर साल बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं, लेकिन इस बार की स्थिति कुछ अलग रही। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद घाट पर पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई थी। घाट की सफाई, रोशनी, और महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव देखने को मिला।
भीड़ इतनी अधिक थी कि महिलाओं को पूजा करने के लिए घंटों लंबी कतार में खड़ा होना पड़ा। दो दिनों से व्रत रखकर भूखी-प्यासी महिलाएं जब घाट पर पहुंचीं तो उन्हें जगह की कमी और अव्यवस्था के कारण बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान कई महिलाएं बेहोश भी हो गईं, जिनके इलाज के लिए वहां कोई चिकित्सा सहायता मौजूद नहीं थी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया का अभाव:
घाट पर अव्यवस्थाओं को देखते हुए स्थानीय महिलाओं और श्रद्धालुओं ने नगर पंचायत और प्रशासन की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। महिलाओं ने कहा कि हर साल छठ पूजा के दौरान भीड़ और अव्यवस्थाएं आम समस्या बन गई है, लेकिन नगर पंचायत इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया। न ही घाट की सफाई की गई थी, न ही महिलाओं के लिए शौचालय और पीने के पानी की उचित व्यवस्था थी। इस स्थिति में कई महिलाओं को बिना पूजा किए ही वापस लौटना पड़ा, जिससे आक्रोश और भी बढ़ गया।
श्रद्धालुओं की मांग: उचित व्यवस्था की जाए
इस पूरे घटनाक्रम के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि छठ पूजा जैसे बड़े आयोजन के लिए विशेष तैयारी की जाए। महिलाओं का कहना है कि छठ पूजा हमारी संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, और ऐसे आयोजन के दौरान अव्यवस्था हमारे धार्मिक अधिकारों का अपमान है।
स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता ने भी इस मामले को उठाते हुए कहा कि प्रशासन को पहले से ही पता होता है कि छठ पूजा के दौरान घाट पर भारी भीड़ उमड़ती है, फिर भी तैयारी न करना सीधे तौर पर श्रद्धालुओं की उपेक्षा है। उन्होंने मांग की है कि भविष्य में छठ पूजा के लिए समुचित व्यवस्था की जाए, ताकि महिलाओं और बुजुर्गों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
प्रशासन का स्पष्टीकरण:
नगर पंचायत के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस बार घाट पर भारी भीड़ आने का अनुमान नहीं था, इसलिए पर्याप्त तैयारी नहीं की जा सकी। हालांकि उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए विशेष योजना बनाई जाएगी और श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जिसे श्रद्धालु बड़ी आस्था के साथ मनाते हैं। लेकिन इस बार की अव्यवस्थाओं ने उनकी आस्था को ठेस पहुंचाई है। यह घटना प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी का स्पष्ट उदाहरण है। यदि स्थानीय प्रशासन समय रहते जरूरी कदम उठाए और सही तैयारी करे, तो श्रद्धालुओं को इस प्रकार की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
आवश्यक है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए समुचित योजना बनाई जाए और हर श्रद्धालु को पूजा का अवसर मिले। यह केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि धार्मिक आयोजन के सम्मान का भी प्रश्न है।
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Author: Suryodaya Samachar
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