नौ दिन पूजा मात को,
अब रहे गजब ढाय ।
दानव बन मदिरा पियें,
माँ को फिर गरियांय ।।
फूंक कर दशकंधर को,
मना रहे सब हर्ष ।
रावण जो यम विजेता,
जी जाता हर वर्ष ।।
रावण आग लगाए के,
दारू रहे चढ़ाय ।
भूलें भगवन राम को,
रावण वेश बनाय ।।
रावण रावण जलाये,
फिर भी रावण शेष ।
यहां वहां रावण फिरें,
धरें राम का वेष ।।
पुतला रावण जल गया,
मिटे न मन के राग ।
मन पावन जब तक नहीं,
छूटें कैसे दाग ।।
ज्ञान प्रकाश गौड़
देवगांव सफीपुर
उन्नाव उत्तर प्रदेश
9936385739
Author: Suryodaya Samachar
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