Sonbhadra news :- [ब्यूरो चीफ रामेश्वर सोनी की स्पेशल रिपोर्ट] सोनभद्र जनपद के घोरावल विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत औराही स्थित मोराही चट्टी पर शनिवार को सम्राट अशोक महान की जयंती बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। सत्येंद्र मौर्य के आवास पर आयोजित इस कार्यक्रम ने न केवल ऐतिहासिक चेतना को पुनर्जीवित किया, बल्कि सामाजिक समरसता और बौद्ध विचारधारा का भी संदेश दिया।
समारोह की शुरुआत फास्ट रिलीफ चैरिटेबल ट्रस्ट (एफआरसीटी) उत्तर प्रदेश, सोनभद्र के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष मंगल चरण सिंह मौर्य द्वारा सम्राट अशोक की प्रतिमा पर माल्यार्पण और बुद्ध वंदना के साथ की गई। उन्होंने अपने संबोधन में सम्राट अशोक की महानता और उनके शासनकाल की व्यापकता को रेखांकित करते हुए बताया कि सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के उन विरले शासकों में से एक थे, जिन्होंने युद्ध से अहिंसा की ओर अपने राज्य का मार्ग मोड़ा।
मौर्य ने कहा, “सम्राट अशोक का शासनकाल ईसा पूर्व 269 से 232 तक रहा, जिसमें उन्होंने उत्तर में हिन्दूकुश से लेकर दक्षिण में मैसूर और पूरब में बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान तक विशाल साम्राज्य स्थापित किया। लेकिन कलिंग युद्ध के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया और उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाकर पूरे भारत में शांति, अहिंसा और करुणा का संदेश फैलाया।”
इस अवसर पर ग्राम पंचायत औराही के प्रधान प्रतिनिधि कैलाश नाथ सिंह पटेल और ग्राम पंचायत मोराही के प्रधान श्यामलाल जायसवाल ने क्षेत्रीय नागरिकों के साथ मिलकर केक काटकर उत्सव को और भी हर्षोल्लासपूर्ण बना दिया।
कार्यक्रम का संचालन एफआरसीटी जिला महामंत्री सर्वजीत कुमार सिंह ने कुशलतापूर्वक किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम सत्येंद्र मौर्य द्वारा विगत कई वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है और इसकी सराहना पूरे क्षेत्र में की जा रही है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर ग्राम पंचायत पिड़रिया के प्रधान प्रतिनिधि सर्वेश कुमार मौर्य, समाजसेवी संतोष कुमार मौर्य, डॉ. रमेश कुमार कुशवाहा, बेचू प्रसाद मौर्य, चंदा मौर्य, छोटे भारती, दशरथ यादव, डॉ. चंद्रभान मौर्य, दिवाकर मौर्य, लल्लन प्रसाद मौर्य, नंदू मौर्य, चंद्रिका प्रसाद गौड़, शिवदास गौड़, कोमल विश्वकर्मा, बब्बू भारती सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
कार्यक्रम के माध्यम से सम्राट अशोक के जीवन से प्रेरणा लेते हुए सामाजिक समरसता, बौद्ध मूल्यों और भारतीय इतिहास की गरिमा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया। यह आयोजन न सिर्फ ऐतिहासिक स्मृति को जीवंत करता है, बल्कि युवा पीढ़ी को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ने का सशक्त माध्यम भी बनता है।
सत्येंद्र मौर्य द्वारा वर्षों से किए जा रहे इस आयोजन ने क्षेत्र में नई चेतना का संचार किया है और सम्राट अशोक की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने की एक सराहनीय पहल के रूप में स्थापित हो चुका है।
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Author: Suryodaya Samachar
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