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Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी आज, जानें शुभ समय, पारण का मुहूर्त और पूजा विधि और कथा

Shattila Ekadashi 2025 :- षटतिला एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। कुछ लोग उन्हें बैकुंठ स्वरूप में पूजते हैं। इस एकादशी पर तिल का विशेष महत्व होता है और इसे अलग-अलग तरीकों से उपयोग में लाया जाता है। इसमें तिल से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिलों का हवन, तिल का तर्पण, तिलों का भोजन और तिलों का दान करना शामिल है।

षटतिला एकादशी पर तिल के 6 उपयोग
  1. तिल के पानी से स्नान करें।
  2. पिसे हुए तिल से उबटन लगाएं।
  3. तिलों से हवन करें।
  4. तिल मिश्रित पानी पीएं।
  5. तिलों का दान करें।
  6. तिल से मिठाई और अन्य व्यंजन तैयार करें।
षटतिला एकादशी के उपाय
  1. जीवन में उन्नति के लिए स्नान के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल और कुछ तिल डालकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। इससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
  2. आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए तुलसी के पौधे पर दूध अर्पित करें। इससे मां तुलसी की कृपा बनी रहती है और धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
षटतिला एकादशी की कथा

प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी भगवान विष्णु की परम भक्त थी। वह व्रत, तप और पूजा-पाठ में सदैव लगी रहती थी। हालांकि, वह कभी किसी को दान नहीं देती थी। एक दिन भगवान विष्णु ने उसकी परीक्षा लेने का निश्चय किया। वह एक साधु का वेश धारण कर ब्राह्मणी के घर गए और भोजन मांगा।

ब्राह्मणी ने साधु को खाली हाथ लौटा दिया। साधु ने उसे समझाया कि दान करना बहुत पुण्य का कार्य है, लेकिन ब्राह्मणी ने उसकी बात को अनसुना कर दिया।

कुछ समय बाद ब्राह्मणी की स्थिति खराब होने लगी। उसके घर में सुख-समृद्धि का अभाव हो गया और वह बहुत परेशान रहने लगी। एक दिन भगवान विष्णु ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और बताया कि उसने कभी तिल का दान नहीं किया, जिसके कारण उसके जीवन में दुख और अभाव आ गए हैं।

भगवान ने उसे षटतिला एकादशी के दिन व्रत करने और तिल का दान करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी बताया कि तिल का दान, तर्पण, स्नान और हवन करने से उसका जीवन फिर से सुखमय हो जाएगा।

ब्राह्मणी ने भगवान के निर्देशों का पालन किया। उसने इस पावन एकादशी पर व्रत किया, तिल से हवन और स्नान किया, तथा तिल का दान किया। इसके बाद उसके जीवन में खुशहाली लौट आई।

षटतिला एकादशी का महत्व

इस कथा से यह समझ आता है कि इस एकादशी पर तिल का उपयोग और दान करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही, यह व्रत हमें त्याग और सेवा का महत्व भी सिखाता है।

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Author: Suryodaya Samachar

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