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शक्ति दूबे : संकल्प, संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायी गाथा

शक्ति दुबे :- [ब्यूरो चीफ तारा त्रिपाठी] भारत की सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा माना जाता है। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करना ही अपने आप में एक उपलब्धि होती है, और जब कोई अभ्यर्थी पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त करता है, तो वह समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन जाता है। वर्ष 2024 की यू.पी.एस.सी. परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर टॉप करने वाली शक्ति दूबे एक ऐसी ही प्रेरणास्पद शख्सियत बनकर उभरी हैं, जिन्होंने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है।

बलिया मूल की रहने वाली शक्ति दूबे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रयागराज में प्राप्त की, वहीं से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण शुरू से ही गहरा था, लेकिन सिविल सेवा की राह आसान नहीं थी। वर्ष 2023 में भी उन्होंने इस परीक्षा में भाग लिया था और साक्षात्कार तक पहुँची थीं, परन्तु अंतिम चयन नहीं हो सका। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। निराशा को अपने आत्मबल पर हावी नहीं होने दिया और निरंतर प्रयास करते हुए इस वर्ष पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया।

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उनकी इस अद्भुत उपलब्धि पर चुनार (मीरजापुर) के वरिष्ठ साहित्यकार और समीक्षक राजीव कुमार ओझा ने शक्ति दूबे के नैनी स्थित पैतृक आवास पर जाकर उन्हें शाल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। साथ ही, श्री ओझा ने शक्ति की सफलता के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली उनकी माता श्रीमती प्रेमा देवी को भी स्मृति चिन्ह देकर श्रद्धा व्यक्त की। शक्ति के पिता, पुलिस विभाग में कार्यरत दारोगा श्री देवेंद्र दूबे को भी उनके योगदान के लिए हार्दिक बधाई दी गई।

राजीव ओझा ने शक्ति दूबे को यह सलाह भी दी कि सेवा में आने के बाद वे देश और समाज की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दें तथा कार्यरत और सेवानिवृत्त सीनियर आईएएस अधिकारियों से निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त करें। उन्होंने विंध्याचल मंडल के पूर्व कमिश्नर और लेबर कोर्ट वाराणसी के पूर्व न्यायाधीश श्री के.एम. पांडेय से शक्ति की मोबाइल पर बात भी करवाई, ताकि वे अपने अनुभवों से उन्हें मार्गदर्शन दे सकें।

शक्ति दूबे की यह यात्रा उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो जीवन में बड़े लक्ष्य लेकर चलते हैं। उनका संदेश स्पष्ट है – यदि आत्मविश्वास, निरंतरता और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रयास किया जाए, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। उनके जज्बे और समर्पण को सलाम, जो आने वाले समय में देश को एक समर्पित और जनहितकारी प्रशासनिक अधिकारी के रूप में एक नई दिशा देंगे।

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Author: Suryodaya Samachar

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