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Sakat chauth 2025 :- सकट चौथ पर कैसे करें पूजा, जानिए पूजा विधि, महत्व और संपूर्ण व्रत कथा

Sakat chauth 2025 :- सकट चौथ का व्रत आज है। इस दिन गणेश जी की पूजा और व्रत कथा का पाठ बहुत जरूरी माना जाता है। माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं और सकट माता की कथा पढ़ती हैं। कथा सुनने से संतान को सुख-समृद्धि और लंबी उम्र मिलती है। सकट चौथ पर माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना करते हुए गणेश जी की पूजा-अर्चना करेंगी। व्रत रखने के साथ सकट माता की कथा भी सुनी जाएगी। 

संकट चौथ का महत्व

संकट चौथ, जिसे तिलकुटा चौथ या गणेश चतुर्थी भी कहते हैं, भगवान गणेश को समर्पित व्रत है। यह व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, लेकिन माघ माह की संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। इसे संकट मोचक गणेशजी के प्रति समर्पित किया जाता है, जिससे सभी संकटों का नाश होता है। इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं।

संकट चौथ की पूजा विधि
  1. स्नान और संकल्प:
    सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। भगवान गणेश की पूजा का संकल्प लें और व्रत का पालन करें।
  2. पूजा स्थान की तैयारी:
    घर के मंदिर को स्वच्छ करें। भगवान गणेश की मूर्ति को पीले कपड़े पर विराजमान करें।
  3. सामग्री की तैयारी:
    पूजा के लिए ये सामग्री रखें:

    • भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर
    • तिल, गुड़, मोदक, फल, धूप, दीपक
    • रोली, अक्षत, चंदन, फूल
    • कलश में जल, दूर्वा (घास), पान और सुपारी
  4. पूजा विधि:
    • गणपति जी का ध्यान करते हुए “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जप करें।
    • मूर्ति को जल से स्नान कराएं और रोली, चंदन, अक्षत, और फूल अर्पित करें।
    • तिल और गुड़ से बने लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
    • धूप और दीप जलाकर आरती करें।
    • भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन के सभी संकट दूर करें।
  5. चंद्रमा को अर्घ्य:
    रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद अर्घ्य दें। अर्घ्य में दूध, जल, तिल और गुड़ का मिश्रण उपयोग करें। चंद्रमा को प्रणाम कर व्रत का पारण करें।
संकट चौथ व्रत कथा

संकट चौथ व्रत के दौरान यह कथा सुनना अनिवार्य है। कथा इस प्रकार है:

पुराने समय में एक नगर में एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। उनके कोई संतान नहीं थी। कई वर्षों तक पूजा-अर्चना के बाद उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ। लेकिन उनके बेटे की कुंडली में यह लिखा था कि उसकी आयु केवल 16 वर्ष की है।

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जब पुत्र 16 वर्ष का हुआ, तो वह काशी पढ़ाई के लिए गया। मार्ग में उसे एक राजा की बारात मिली। उसने देखा कि बारात में सभी उत्सव मना रहे हैं। तभी राजा की बारात में कुछ अड़चन आ गई। वहां के ब्राह्मणों ने कहा कि यदि कोई बालक संकट चौथ का व्रत कर भगवान गणेश की पूजा करेगा, तो संकट दूर हो जाएगा।

उस ब्राह्मण पुत्र ने तुरंत व्रत रखा और भगवान गणेश की पूजा की। भगवान गणेश की कृपा से न केवल बारात का संकट दूर हुआ, बल्कि ब्राह्मण पुत्र की आयु भी बढ़ गई। भगवान गणेश ने उसे आशीर्वाद दिया कि जो कोई भी संकट चौथ का व्रत करेगा, उसके सभी संकट दूर होंगे।

दूसरी व्रत कथा: देवरानी-जेठानी की कहानी

पुराने समय की बात है। एक गांव में दो भाभियां रहती थीं। जेठानी बहुत अमीर थी, उसका परिवार बड़ा और संपन्न था। दूसरी ओर, देवरानी अत्यंत गरीब थी। उसकी स्थिति इतनी खराब थी कि उसे अपने जीवन-यापन के लिए जेठानी की सेवा करनी पड़ती थी।

देवरानी रोज सुबह उठकर जेठानी के घर का सारा काम करती। घर की सफाई, रसोई का काम, पानी भरना—सभी काम निष्ठा से करती। बदले में जो थोड़ा-बहुत भोजन या फटा-पुराना कपड़ा मिलता, उसी से वह अपना जीवन चलाती। फूटा घड़ा, टूटी चारपाई और झोपड़ी ही उसका संसार था।

एक दिन देवरानी ने थक-हारकर भगवान से प्रार्थना की, “हे भगवान, मेरी गरीबी और दुखों का अंत कब होगा? क्या मेरा जीवन यूं ही बीत जाएगा?”
उसी रात उसने सपना देखा। सपना आया कि किसी बड़े व्रत को करने से उसकी किस्मत बदल सकती है। उसने सपने में एक आवाज सुनी:
“तू संकट चौथ का व्रत रख और पूरी श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा कर। तेरे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।”

अगले दिन देवरानी ने संकट चौथ का व्रत रखने का संकल्प लिया। वह दिन भर भूखी रही, पानी तक नहीं पिया। उसने पूरे मन से भगवान गणेश की पूजा की और उनसे प्रार्थना की, “हे गणपति बप्पा, मेरी गरीबी दूर करें और मुझे सुखी जीवन दें।”
रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर उसने व्रत पूरा किया।

कुछ ही दिनों बाद, देवरानी के जीवन में बदलाव आने लगा। उसकी झोपड़ी के पास एक कुंआ खुदाई के दौरान निकला, जिसमें सोने और चांदी के सिक्के थे। भगवान गणेश की कृपा से वह धनवान हो गई। उसकी गरीबी दूर हो गई, और उसका जीवन सुखमय हो गया।

जब जेठानी को यह बात पता चली, तो उसे ईर्ष्या हुई। उसने देवरानी से पूछा, “तेरे जीवन में यह बदलाव कैसे हुआ?” देवरानी ने उसे व्रत और पूजा के बारे में बताया।
जेठानी ने भी व्रत करने का निश्चय किया, लेकिन उसका मन साफ नहीं था। वह व्रत तो करती, लेकिन निष्ठा और श्रद्धा के बिना।

जेठानी को व्रत का फल नहीं मिला, क्योंकि उसने इसे सिर्फ दिखावे के लिए किया था। इस घटना ने उसे सिखाया कि व्रत और पूजा में सच्चा मन और श्रद्धा सबसे ज्यादा जरूरी है।

संकट चौथ व्रत के नियम

  1. व्रत के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्र दर्शन तक जल ग्रहण न करें।
  2. केवल भगवान गणेश की कथा और पूजा पर ध्यान दें।
  3. व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन का संकल्प लें।
  4. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करें।

संकट चौथ व्रत का फल:

संकट चौथ व्रत करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं। यह व्रत धन, सुख, और शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी संकट हर लेते हैं और उन्हें हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करते हैं।

 

Suryodaya Samachar
Author: Suryodaya Samachar

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