Padma Awards 2025 :- बिहार की 7 महान विभूतियों को पद्म पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है, जिनमें से तीन को मरणोपरांत सम्मान दिया गया है। लोकगायिका शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण, सुशील कुमार मोदी को पद्म भूषण, और आचार्य किशोर कुणाल को पद्म श्री से नवाजा गया है। इनके अतिरिक्त, समाजसेवा, कला और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले चार अन्य व्यक्तियों को भी पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा देर रात पद्म पुरस्कारों की सूची जारी की गई।
पुरस्कार प्राप्तकर्ता और उनके क्षेत्र:
- शारदा सिन्हा (मरणोपरांत) – पद्म विभूषण (कला)
- सुशील कुमार मोदी (मरणोपरांत) – पद्म भूषण (सामाजिक प्रक्षेत्र)
- आचार्य किशोर कुणाल (मरणोपरांत) – पद्म श्री (लोक सेवक)
- भीम सिंह भवेश – पद्म श्री (समाज सेवा)
- डॉ. हेमंत कुमार – पद्म श्री (चिकित्सा)
- निर्मला देवी – पद्म श्री (कला – सुजनी कला)
- विजय नित्यानंद सुरिश्वर जी महाराज – पद्म श्री (आध्यात्म)
शारदा सिन्हा: लोक गायन की सशक्त हस्ताक्षर
लोकगायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें ‘स्वर कोकिला’ के नाम से जाना जाता है, बिहार की लोक गायन परंपरा की पहचान थीं। 1 अक्टूबर 1952 को जन्मीं शारदा सिन्हा ने मैथिली, भोजपुरी और हिंदी के लोकगीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को नई ऊंचाई दी। उनका निधन 5 नवंबर 2024 को छठ महापर्व के दौरान हुआ। उनकी पहचान खास तौर पर छठ गीतों से है, जो छठ व्रतियों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं।
सुशील मोदी: जेपी आंदोलन से लेकर राजनीतिक धुरी
सुशील कुमार मोदी, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता, को सामाजिक योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। 5 जनवरी 1952 को जन्मे मोदी का निधन 13 मई 2024 को हुआ। वह चार विधायिकाओं (लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, और विधान परिषद) के सदस्य रहे। जेपी आंदोलन से राजनीति में कदम रखने वाले मोदी ने आरएसएस से जुड़कर देश की सेवा की।
किशोर कुणाल: मंदिरों को समाजसेवा से जोड़ा
आचार्य किशोर कुणाल, जो गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी और महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव थे, ने समाजसेवा में अद्वितीय योगदान दिया। 29 दिसंबर 2024 को उनका निधन हुआ। उन्होंने पटना में अस्पतालों और शैक्षिक संस्थानों की स्थापना की और अयोध्या राम मंदिर विवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निर्मला देवी: सुजनी कला की ध्वजवाहक
निर्मला देवी, जो मुजफ्फरपुर की निवासी हैं, ने सुजनी कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। 1989 में महिला विकास समिति की स्थापना कर उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को इस कला में प्रशिक्षित किया। वह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में अग्रणी रही हैं।
डॉ. हेमंत कुमार: किडनी रोग विशेषज्ञ
डॉ. हेमंत कुमार ने पिछले 35 वर्षों से किडनी रोगियों की सेवा की है। भागलपुर में जन्मे डॉ. हेमंत ने चिकित्सा शिक्षा जमशेदपुर और वाराणसी से प्राप्त की। वह पटना में आईजीआईएमएस और पीएमसीएच जैसे प्रमुख संस्थानों से जुड़े रहे हैं।
भीम सिंह भवेश: मुसहर समुदाय के मसीहा
भीम सिंह भवेश ने भोजपुर जिले के मुसहर समुदाय के उत्थान के लिए अद्वितीय प्रयास किए। 22 वर्षों से अपनी संस्था ‘नई आशा’ के माध्यम से वह शिक्षा, स्वास्थ्य, और खेलकूद के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने आठ हजार से अधिक बच्चों का स्कूलों में नामांकन करवाया और एक पुस्तकालय भी स्थापित किया।
विजय नित्यानंद सुरिश्वर जी महाराज: आध्यात्मिक मार्गदर्शक
विजय नित्यानंद सुरिश्वर जी महाराज ने आध्यात्मिक क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित किया। उनके योगदान को पद्म श्री से सम्मानित कर भारत सरकार ने उनके कार्यों को मान्यता दी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी विभूतियों को बधाई दी और उनकी उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया।
Author: Suryodaya Samachar
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