Ma vindhyawasini temple in Varanasi :- [रिपोर्टर अजय कुमार गुप्ता] वाराणसी के जंसा क्षेत्र में स्थित श्री आदिशक्ति लोक कल्याणकारी समिति बसंतपुर आश्रम में मां विंध्यवासिनी की मूर्ति स्थापना का दस दिवसीय भव्य आयोजन 1 फरवरी से प्रारंभ होने जा रहा है। इस कार्यक्रम का नेतृत्व महंत जगदीश्वरानंद जी महाराज दंडी स्वामी कर रहे हैं। मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, और अब यह मां विंध्यवासिनी के आगमन के लिए सुसज्जित है।
दस दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा
महंत जगदीश्वरानंद जी महाराज ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि 1 फरवरी को कलश यात्रा और पंचांग प्रजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत होगी। इसके बाद, 2 फरवरी को देवी का जलाधिवास किया जाएगा। 3 फरवरी को अन्नाधिवास, 4 फरवरी को दिव्याधिवास, पुष्पाधिवास, और फलाधिवास के कार्यक्रम होंगे।
5 फरवरी को विशेष स्नान, रथ यात्रा, और देवी के शयन का आयोजन किया जाएगा। 6 फरवरी को शिखर स्नान और न्यास की विधि संपन्न होगी। 7 फरवरी को प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भक्तों का भारी जनसैलाब उमड़ने की संभावना है। 8 फरवरी को मां विंध्यवासिनी का विशेष श्रृंगार किया जाएगा, जो भक्तों के लिए मुख्य आकर्षण होगा। 9 फरवरी को हवन और पूर्ण आहुति के बाद, 10 फरवरी को विशाल भंडारा और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।
मंदिर की विशेषता और आयोजन का महत्व
मां विंध्यवासिनी के इस मंदिर की विशेषता इसकी भव्यता और आध्यात्मिकता है। मंदिर के नीचे एक गुफा का निर्माण किया गया है, जो इस स्थान की दिव्यता को और भी बढ़ाता है। भक्तों का मानना है कि मां विंध्यवासिनी के दर्शन और पूजन से जीवन के समस्त कष्टों का निवारण होता है।
महंत जगदीश्वरानंद जी महाराज ने बताया कि इस आयोजन में भक्तों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं। श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे, जिससे क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण का सृजन होगा।
संरक्षक और सहयोगी सदस्य
इस आयोजन में संरक्षक के रूप में राधेश्याम सिंह उर्फ रामदास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जौनपुर से पधारे प्रमुख आचार्य पंडित विमलेश त्रिपाठी, पंडित नितेश मिश्रा, और महामंत्री नागेश कुमार पांडेय जैसे अन्य व्यक्तियों ने भी इस आयोजन को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया है।
आयोजन का प्रभाव और संदेश
यह दस दिवसीय कार्यक्रम केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि समाज में आध्यात्मिकता और एकता का संदेश भी देता है। मां विंध्यवासिनी की मूर्ति स्थापना का यह आयोजन धार्मिक उत्सवों के महत्व को पुनः रेखांकित करता है और नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का कार्य करता है।
मां विंध्यवासिनी के आगमन से न केवल बसंतपुर आश्रम, बल्कि संपूर्ण क्षेत्र भक्तिमय ऊर्जा से सराबोर होगा। यह आयोजन धर्म, संस्कृति, और सेवा का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। भक्तगण इस अवसर पर मां विंध्यवासिनी की कृपा प्राप्त करने के लिए आतुर हैं।
Author: Suryodaya Samachar
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