जया एकादशी 2025 :- जया एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, जया एकादशी 8 फरवरी 2025, शनिवार को पड़ रही है।
पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी मनाई जाती है और इस साल 8 फरवरी 2025 को जया एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। ज्योतिषियों की मानें तो इस तिथि पर मृगशिर्षा नक्षत्र और वैधृति योग बन रहा है। इस योग में विष्णु जी की पूजा करने से साधक के धन धान्य में वृद्धि होती हैं और लंबे समय से रुके हुए काम भी पूरे होते हैं। ऐसे में आइए इस दिन की पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
जया एकादशी का महत्व:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत के प्रभाव से भूत, प्रेत, पिशाच जैसी योनियों से भी मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत कथा:
प्राचीन कथा के अनुसार, स्वर्गलोक में इंद्रदेव की सभा में गंधर्व माल्यवान और अप्सरा पुष्पवती ने अपने कर्तव्यों में लापरवाही की, जिससे क्रोधित होकर इंद्रदेव ने उन्हें पिशाच योनि का श्राप दिया। पृथ्वी पर कष्ट भोगते हुए, उन्होंने माघ शुक्ल एकादशी का व्रत रखा, जिसके प्रभाव से वे श्राप से मुक्त होकर पुनः स्वर्ग लौट आए।
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 21 मिनट से 06 बजकर 13 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 10 मिनट तक
पूजा विधि:
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप, धूप, चंदन, फूल, और नैवेद्य अर्पित करें।
- तुलसी पूजा: तुलसी के पौधे की पूजा करें, क्योंकि यह भगवान विष्णु को प्रिय है।
- व्रत कथा का पाठ: जया एकादशी की व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
- भजन-कीर्तन: भगवान विष्णु के भजनों का कीर्तन करें और रात्रि जागरण का प्रयास करें।
- दान-पुण्य: द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करने से पहले जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें।
व्रत के दौरान सात्विक आहार लें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। व्रत का पारण द्वादशी तिथि को उचित समय पर करें।
जया एकादशी व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
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Author: Suryodaya Samachar
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