Israel – Hamas ceasefire :- ग़ज़ा में लंबे समय से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए इसराइल और हमास के वार्ताकार पहले कभी इतने नज़दीक नहीं आए थे। हाल ही में, युद्धविराम पर चर्चा करते हुए दोनों पक्षों के बीच सिर्फ एक मंज़िल का फासला रह गया था।
यह बातचीत क़तर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता में हो रही थी और महीनों से धीमी गति से चल रही थी। ऐसा लग रहा था कि बातचीत किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने में असफल रहेगी। लेकिन हालिया घटनाओं ने उम्मीद की किरण दिखाई।
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दोहा में एक ही छत के नीचे जुटे पक्ष
पिछले दिनों, युद्धविराम पर बातचीत करने वाले सभी पक्ष दोहा की एक ही इमारत में मौजूद थे। इसने चर्चा को नई गति दी। क़तर और मिस्र की सक्रिय भूमिका, साथ ही अमेरिका का कूटनीतिक समर्थन, इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हुआ।
युद्धविराम की दिशा में बढ़ते कदम
दोनों पक्षों के प्रतिनिधि करीब आ चुके हैं और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बातचीत अब एक निर्णायक मोड़ पर है। हालांकि, अभी औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं, लेकिन वार्ता की प्रगति ने ग़ज़ा के लोगों के लिए शांति की उम्मीद बढ़ा दी है।
मध्यस्थता की अहम भूमिका
क़तर और मिस्र ने इस वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क़तर ने बातचीत के लिए मंच तैयार किया, जबकि मिस्र ने इसराइल और हमास के बीच कूटनीतिक संवाद को सुगम बनाया। अमेरिका ने भी इस प्रक्रिया में पीछे नहीं हटते हुए दोनों पक्षों पर दबाव बनाए रखा।
चुनौतियां अभी बाकी हैं
युद्धविराम के प्रयासों के बावजूद, कई जटिल मुद्दे अब भी समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इनमें ग़ज़ा में मानवीय सहायता की पहुंच, कैदियों की अदला-बदली, और दीर्घकालिक शांति के लिए समझौते शामिल हैं।
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हालिया वार्ता ने इसराइल और हमास के बीच शांति स्थापित करने की संभावनाओं को नई दिशा दी है। ग़ज़ा में वर्षों से चले आ रहे संघर्ष के बाद यह वार्ता उम्मीदों का संचार कर रही है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह कूटनीतिक प्रयास आने वाले दिनों में कितना सफल होता है।

Author: Suryodaya Samachar
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