IITian Baba :- हरियाणा के झज्जर जिले के निवासी और आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने वाले अभय सिंह आज अपनी अनूठी और प्रेरणादायक जीवन यात्रा के कारण चर्चा में हैं। आईआईटी मुंबई से टॉप रैंक के साथ ग्रेजुएशन करने के बाद, जब उनके सामने एक शानदार करियर और आरामदायक जीवन का विकल्प था, उन्होंने उसे छोड़कर जीवन के गहरे सत्य की तलाश का रास्ता चुना।
आज अभय सिंह साधु के वेश में प्रयागराज के महाकुंभ मेले 2025 में उपस्थित हैं और “इंजीनियर बाबा” के नाम से लोकप्रिय हो रहे हैं। यह कहानी न केवल अद्भुत है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि जीवन में भौतिक उपलब्धियों से अधिक आत्मिक शांति और सच्चाई की खोज महत्वपूर्ण है।
डिप्रेशन से मुक्ति की यात्रा
मीडिया से बातचीत में अभय सिंह ने बताया कि वे आईआईटी मुंबई में 2008 बैच के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग छात्र थे। हालांकि, पढ़ाई के दौरान वे गहरे डिप्रेशन में चले गए। जीवन का उद्देश्य और भविष्य की चिंताओं ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया। उन्होंने बताया, “मुझे लगता था कि मैं कितने भी विमान बना लूं, लेकिन इस जीवन का असली उद्देश्य क्या है?”
अभय सिंह ने अपने मानसिक स्वास्थ्य और जीवन से जुड़े गहरे सवालों का समाधान ढूंढने के लिए मनोविज्ञान (साइकोलॉजी) का अध्ययन शुरू किया। लेकिन उनके सवालों का असली उत्तर उन्हें इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) और कृष्ण भक्ति के मार्ग पर चलने से मिला।
इंजीनियर से साधु बनने का सफर
अभय सिंह ने कृष्ण भक्ति में कदम रखते हुए जीवन की भौतिक दौड़ से दूर आध्यात्मिक जीवन को अपनाया। उन्होंने बताया कि भौतिक उपलब्धियां हमें क्षणिक संतोष दे सकती हैं, लेकिन आत्मिक संतुष्टि और शांति केवल ईश्वर की भक्ति और सेवा से ही मिलती है।
कुंभ मेले में “इंजीनियर बाबा” की लोकप्रियता
महाकुंभ 2025 प्रयागराज में अभय सिंह, जो अब “इंजीनियर बाबा” के नाम से पहचाने जाते हैं, भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच खास आकर्षण बने हुए हैं। उनकी जीवन यात्रा युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो यह सिखाती है कि जीवन का असली उद्देश्य केवल करियर या भौतिक सुख-सुविधाएं ही नहीं, बल्कि आत्मा की शांति और सच्चाई की खोज है।
युवाओं के लिए संदेश
इंजीनियर बाबा का कहना है, “जीवन में सफलता का मतलब केवल पैसे कमाना या बड़ी उपलब्धियां हासिल करना नहीं है। आत्मा की शांति और जीवन के उद्देश्य को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।” उनका मानना है कि भक्ति, ध्यान और आत्म-विश्लेषण से हर व्यक्ति अपने जीवन के कठिन दौर को पार कर सकता है।
अभय सिंह की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि आत्मा की शांति और सत्य की खोज के लिए भौतिक जीवन को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग पर चलना भी एक साहसिक और सार्थक निर्णय हो सकता है।
Author: Suryodaya Samachar
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