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Economical condition of Pakistan : भारत की इकोनॉमी के आगे घुटने टेक रही पाकिस्तानी इकोनाॅमी

(Economical condition of Pakistan) नई दिल्ली :- पिछले साल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई थी। उसके पास ना तो विदेशी कर्ज चुकाने के पैसे थे, और ना ही इंपोर्ट बिल भरने के। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी पाकिस्तान को कोई रियायत देने के मूड में नहीं था। आखिर में पाकिस्तान ने सब्सिडी घटाने और महंगाई बढ़ाने समेत सभी शर्तें मानी, तब जाकर IMF पसीजा और उसने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आर्थिक पैकेज जारी किया।

पाकिस्तान को फिर चाहिए IMF का सहारा

अब पाकिस्तान को फिर से आर्थिक संकट का मुकाबला करने के लिए IMF से आर्थिक मदद चाहिए। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि IMF के साथ जून या जुलाई की शुरुआत तक स्टाफ लेवल समझौता हो जाएगा। फिर पाकिस्तान को बड़ा कर्ज मिल सकता है।

लेकिन, इस बार भी IMF का रुख काफी सख्त है। उसका कहना है कि पाकिस्तान ने कर्ज के लिए जरूरी शर्तें पूरा करने में नाकाम रहा। हालांकि, पाकिस्तानी हुकूमत का दावा है कि उसने IMF की सभी शर्तों के पूरा किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद भी IMF की MD क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) से बात की है।

पाकिस्तान में विदेशी निवेश लगभग ना के बराबर कह सकते हैं। हालांकि, वह रूस और चीन के व्यापार नए रास्ते खोलने की कोशिश कर रहा, ताकि स्टाफ-लेवल मीटिंग में अपना पक्ष थोड़ा मजबूती से रख सके।

IMF के साथ पाकिस्तान का मौजूदा 3 अरब डॉलर का अरेजमेंट अप्रैल के आखिर में खत्म हो जाएगा। अब पाकिस्तानी हुकूमत देश में आर्थिक स्थिरता लाने के लिए लंबी अवधि के बड़े कर्ज की तलाश कर रही है। दरअसल, पाकिस्तान ऐसा सहारा चाहता है, जिसके भरोसा वह जरूरी सरंचनात्मक सुधारों को लागू कर सके। देश की इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए इसकी सख्त दरकार है।

पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ कितनी रहेगी?

दुनियाभर की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियां भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को संशोधित करके बढ़ा रही है। IMF का ही कहना है कि 2024 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.8 फीसदी की दर से बढ़ेगी। लेकिन, ग्रोथ की अपार संभावना होने के बावजूद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था हांफ रही है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब का दावा है कि वित्त वर्ष 2023-24 में उनके मुल्क की जीडीपी ग्रोथ 2.6 प्रतिशत रह सकती है।

वहीं, पाकिस्तान की मुद्रास्फीति (Inflation) की बात करें, तो इसके 24 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। मतलब कि अभी भी पाकिस्तानी अवाम को महंगाई से राहत मिलने के दूर-दूर तक आसार नजर नहीं आ रहे। अगर IMF के साथ पाकिस्तान का स्टाफ-लेवल का एग्रीमेंट होता है, तो वह फिर से महंगाई बढ़ाने जैसी शर्त रख सकता है, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।

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Author: Suryodaya Samachar

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