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diesel engine train mileage :- डीजल इंजन ट्रेन का माइलेज, कितना प्रभावी है ट्रेन को खींचने वाला इंजन

diesel engine train mileage :- भारत सहित दुनिया के कई देशों में रेलगाड़ियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा डीजल इंजन ट्रेनें हैं। ये ट्रेनें उन क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी होती हैं जहां बिजली का नेटवर्क नहीं पहुंचता है। हालांकि इलेक्ट्रिक इंजनों की तुलना में डीजल इंजन ट्रेनें अधिक ईंधन खपत करती हैं फिर भी उनका माइलेज और क्षमता काफी महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि डीजल इंजन ट्रेन का माइलेज कैसे निर्धारित किया जाता है क्या कारक इसे प्रभावित करते हैं और यह रेल परिवहन में क्यों महत्वपूर्ण है।

डीजल इंजन ट्रेन का माइलेज क्या है?

डीजल इंजन ट्रेन का माइलेज कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे इंजन की क्षमता, वजन, ट्रेन की गति, ट्रैक की स्थिति, और मौसम। सामान्यतः डीजल इंजन ट्रेन का माइलेज 4 से 6 किलोमीटर प्रति लीटर तक होता है। यह आंकड़ा लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए होता है जो कई बोगियों को खींचती हैं।

माइलेज का यह आंकड़ा सुनने में कम लग सकता है लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि डीजल इंजन ट्रेनें एक बार में सैकड़ों यात्रियों और भारी माल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती हैं। ऐसे में प्रति यात्री या प्रति टन माल के हिसाब से देखा जाए तो यह माइलेज काफी प्रभावी होता है।


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माइलेज को प्रभावित करने वाले कारक

ट्रेन का वजन: भारी ट्रेनें विशेषकर मालगाड़ियां, अधिक ईंधन की खपत करती हैं। बोगियों की संख्या और उनमें लदे माल की मात्रा माइलेज को प्रभावित करती है।

गति: धीमी गति से चलने वाली ट्रेनें अधिक ईंधन बचा सकती हैं, जबकि तेज गति पर ईंधन की खपत बढ़ जाती है।

ट्रैक की स्थिति: ट्रैक का प्रकार, ढलान और घुमावदार रास्ते भी ईंधन खपत पर प्रभाव डालते हैं। सीधा और सपाट ट्रैक होने पर माइलेज बेहतर होता है।

मौसम: अत्यधिक गर्मी या ठंड से इंजन की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है जिससे ईंधन की खपत बढ़ सकती है।

इंजन की स्थिति: अगर इंजन का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया हो तो माइलेज कम हो सकता है। नियमित सर्विसिंग और इंजन की सफाई से माइलेज को बढ़ाया जा सकता है।

डीजल इंजन बनाम इलेक्ट्रिक इंजन

जब हम डीजल इंजन ट्रेनों की तुलना इलेक्ट्रिक इंजनों से करते हैं तो इलेक्ट्रिक ट्रेनें अधिक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल मानी जाती हैं। फिर भी डीजल इंजन ट्रेनों का उपयोग उन क्षेत्रों में अधिक होता है जहां बिजली की सुविधा नहीं है या इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। डीजल इंजन ट्रेनों की संचालन क्षमता और भारी माल को खींचने की क्षमता उन्हें दूरदराज के इलाकों में भी उपयोगी बनाती है।

डीजल इंजन ट्रेन का माइलेज कैसे बढ़ाया जा सकता है?

इंजन का रखरखाव: नियमित सर्विसिंग और इंजन की जांच से माइलेज में सुधार किया जा सकता है।

स्पीड कंट्रोल: ट्रेनों की गति को एक स्थिर स्तर पर रखने से ईंधन की खपत कम होती है।

एरोडायनामिक डिज़ाइन: बोगियों और इंजन के डिजाइन में सुधार कर हवा का प्रतिरोध कम किया जा सकता है, जिससे माइलेज बढ़ता है।

हल्के बोगी का उपयोग: हल्के और टिकाऊ मटेरियल से बनी बोगियों का उपयोग कर ट्रेन का कुल वजन कम किया जा सकता है जिससे ईंधन की खपत घटती है।

डीजल इंजन ट्रेनें आज भी भारतीय रेलवे और अन्य देशों के रेलवे नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका माइलेज, हालांकि इलेक्ट्रिक इंजनों से कम है फिर भी इनकी बहुआयामी उपयोगिता लंबी दूरी पर भारी माल और यात्रियों को ले जाने की क्षमता और दूरदराज के क्षेत्रों में संचालन की दक्षता इन्हें बेहद महत्वपूर्ण बनाती है।

भविष्य में डीजल इंजन ट्रेनों में तकनीकी सुधार और वैकल्पिक ईंधन के उपयोग से इनका माइलेज और भी बेहतर किया जा सकता है। रेलवे में आधुनिकरण के साथ ये ट्रेनें न केवल किफायती बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी बन सकती हैं।

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Author: Suryodaya Samachar

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