Chunar fort :- [रिपोर्टर तारा त्रिपाठी] चुनार का ऐतिहासिक दुर्ग जो अपने गौरवशाली अतीत और रहस्यमयी कहानियों के लिए जाना जाता है अब हेरीटेज पर्यटन इकाई के रूप में विकसित होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने चुनार दुर्ग को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत एक पर्यटन इकाई के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है, जिससे न केवल इसका संरक्षण हो सकेगा, बल्कि इसके दर्शनीय स्थलों का आसानी से अवलोकन भी हो पाएगा।
चुनार दुर्ग का इतिहास
चुनार का यह दुर्ग लगभग 2068 वर्ष पुराना है। इसका निर्माण 56 ईसा पूर्व उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य ने कराया था। यह दुर्ग भारतीय इतिहास के कई महत्वपूर्ण घटनाओं और राजाओं के शासनकाल का साक्षी रहा है। 17 अलग-अलग शासकों ने इस दुर्ग पर अपना शासन चलाया, जिनमें तीन हिंदू, 12 मुगल और दो ब्रिटिश शासक शामिल हैं। इस किले ने न केवल कई संस्कृतियों को समेटा, बल्कि शासकों की विविधता का भी प्रतिनिधित्व किया।
इस किले पर पृथ्वीराज राय पिथौरा का शासनकाल 1141 से 1191 ईस्वी तक रहा।
1333 में राजा स्वामी ने अपनी पुत्री राजकुमारी सोनवा के लिए सोनवा मंडप का निर्माण करवाया, जो किले का एक आकर्षक दर्शनीय स्थल है और हिंदू शिल्पकला का बेहतरीन उदाहरण है। बादशाह अकबर के शासनकाल में 1575 में यहां अकबरी गेट का निर्माण हुआ, जिस पर आज भी फारसी भाषा में शिलालेख अंकित है।
1765 में यह किला ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आया और वारेन हेस्टिंग्स का प्रिय किला बन गया। उनके लिए बनवाए गए बंगले में एक धूप घड़ी भी है, जो आज भी सही समय बताती है।
किले के दर्शनीय स्थल
इस दुर्ग में पर्यटकों के लिए देखने योग्य कई अद्वितीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं:
योगीराज भर्तृहरि की समाधि, सोनवा मंडप, काल कोठरी, बैरक, रानी का झरोखा, शेरशाह सूरी का दीवाने खास।
इसके अलावा, 200 फीट गहरी बावली और वारेन हेस्टिंग्स का बंगला भी यहां स्थित है।
किले में मौजूद धूप घड़ी भी एक आकर्षक और प्राचीन यंत्र है जो सूर्य की रोशनी से समय बताती है।
पर्यटन के लिए संभावनाएं
वाराणसी के पास स्थित इस किले के प्रति विदेशी पर्यटकों की रुचि बढ़ी है। टीवी धारावाहिक चंद्रकांता के प्रसारण के बाद चुनार किले ने और अधिक प्रसिद्धि प्राप्त की है, जिससे यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। सरकार द्वारा इसे हेरिटेज पर्यटन इकाई के रूप में विकसित करने से पर्यटन सुविधाओं में सुधार होगा और किले का उचित संरक्षण भी हो सकेगा।
विकास के लाभ
संरक्षण: पीपीपी मॉडल के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किले का संरक्षण और देखभाल सही तरीके से हो सके।
पर्यटन बढ़ावा: पर्यटन सुविधाओं में सुधार से यहां पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय व्यवसाय को भी लाभ मिलेगा।
रोजगार के अवसर: स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
वर्तमान स्थिति
इस समय चुनार दुर्ग में सशस्त्र पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय संचालित किया जाता है, जिसका कार्यालय और उच्चाधिकारियों के आवासीय परिसर इसी दुर्ग में स्थित हैं। पर्यटन इकाई के रूप में विकसित होने के बाद, किले की सुरक्षा व्यवस्था, साफ-सफाई और आधुनिक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा, जिससे पर्यटकों को एक बेहतर अनुभव मिल सके।
इस प्रकार, चुनार का किला न केवल ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने में एक अहम कदम साबित होगा बल्कि क्षेत्र में पर्यटन के लिए नए द्वार खोलेगा।
Author: Suryodaya Samachar
खबर से पहले आप तक