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Bhai dooj 2024 :- भाई दूज की कथा, सरल पूजा विधि, तिलक का शुभ मुहूर्त और जरूरी बातें…

Bhai dooj 2024 :- भाई दूज का त्योहार, दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है, जो भाई-बहन के बीच के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए उसकी पूजा करती है और तिलक लगाती है। इस अवसर पर बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर और उसे उपहार देकर उसके प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करती है। भाई दूज के पीछे यह मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर गए थे और उन्होंने उनकी पूजा स्वीकार की थी, जिसके बाद यह पर्व मनाया जाने लगा।

आइए जानते हैं भाई दूज की सरल पूजा विधि, आवश्यक सामग्री, और कुछ जरूरी बातें जिनका पालन करके आप इस पूजा को शुभ बना सकते हैं।

भाई दूज की पूजा विधि

1. स्नान और स्वच्छता:

सबसे पहले सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।

पूजा स्थान को भी अच्छे से साफ करें और वहां एक चौकी (चौकी/पटिया) रखें।

 

2. पूजा सामग्री:

एक छोटी थाली में रोली, अक्षत (चावल), दीपक, मिठाई, पान के पत्ते, फूल, कलावा और कुछ सिक्के रखें।

भाई के लिए एक साफ आसन (चौकी) भी रखें, जिस पर वह बैठ सके।

 

3. भगवान का ध्यान:

पूजा की शुरुआत भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के ध्यान से करें ताकि पूजा निर्विघ्न रूप से संपन्न हो।

Bhai dooj 2024

4. भाई का तिलक:

भाई दूज के दिन तिलक का विशेष महत्व है। इसके लिए आप रोली और अक्षत का प्रयोग कर सकती हैं।

सबसे पहले भाई की आरती उतारें और फिर उसके माथे पर तिलक लगाएं। तिलक लगाते समय यह ध्यान रखें कि आपके मन में उसके लिए शुभकामनाएं हों।

 

5. आरती और मिठाई:

भाई को तिलक लगाने के बाद उसकी आरती उतारें और उसे मिठाई खिलाएं। मिठाई खिलाते समय उसे अपने हाथों से खिलाएं, क्योंकि यह भाई-बहन के रिश्ते में मिठास को दर्शाता है।

 

6. भाई को भोजन कराएं:

तिलक और आरती के बाद, भाई को भोजन कराएं। यदि संभव हो तो उसे अपने हाथों से बनाकर कुछ विशेष व्यंजन खिलाएं।

 

7. उपहार:

भाई दूज के अवसर पर बहनें अपने भाई को कुछ उपहार भी देती हैं। यह उपहार उसके प्रति आपके स्नेह और शुभकामनाओं का प्रतीक होता है।

 

8. भाई का आशीर्वाद:

उपहार देने के बाद भाई बहन को अपनी शक्ति के अनुसार कुछ उपहार या धनराशि देता है, जिससे यह संबंध और मजबूत होता है।

पूजा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

1. शुद्धता:

पूजा में शुद्धता का विशेष महत्व है। अपने आस-पास का माहौल साफ-सुथरा रखें और पूजा से पहले स्नान जरूर करें।

 

2. भाई का सम्मान:

पूजा करते समय भाई का सम्मान करें। इस दिन का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के संबंधों को और अधिक मजबूत करना है।

 

3. तिलक का महत्व:

भाई दूज पर लगाए गए तिलक का विशेष महत्व है, इसलिए इसे पूर्ण श्रद्धा से लगाएं। यह तिलक आपके भाई की रक्षा करेगा और उसे जीवन में सफल बनाएगा।

 

4. सही समय:

भाई दूज पर तिलक लगाने का समय (मुहूर्त) बहुत महत्वपूर्ण होता है। शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें, ताकि पूजा का फल अधिक प्राप्त हो।

 

5. अंतरंगता:

इस दिन आप भाई के साथ समय बिताएं, उसके साथ बातें करें, ताकि रिश्तों में और घनिष्ठता बनी रहे।

तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त इस त्योहार की महत्वपूर्ण बातों में से एक है। इस दिन विशेष समय पर तिलक लगाना अति शुभ माना जाता है। प्रातः काल से लेकर अपराह्न तक के समय में आमतौर पर तिलक का मुहूर्त रहता है, लेकिन पंचांग में देख कर ही सही समय का निर्धारण करें। शुभ मुहूर्त में किया गया तिलक, भाई की दीर्घायु और उन्नति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को रात 8 बजकर 22 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 3 नवंबर को रात 11 बजकर 06 मिनट पर होगा। इस दिन भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक तक रहेगा। इस समय आप अपने भाई को तिलक लगा सकती हैं।

भाई दूज के अन्य महत्वपूर्ण पहलू

1. यमराज और यमुनाजी का पूजन:

भाई दूज पर बहनें यमराज और यमुनाजी की पूजा भी करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर आए थे और उन्होंने भोजन ग्रहण किया था। इसलिए भाई दूज पर यमराज की पूजा का विशेष महत्व है।

 

2. कथा और धार्मिक मान्यताएं:

भाई दूज के दिन भाई-बहन से जुड़ी पौराणिक कथाएं भी सुनी जाती हैं, जिनसे दोनों के संबंधों में स्नेह और आस्था बढ़ती है। भाई दूज की कथा का श्रवण करने से भाई-बहन के रिश्तों में प्रेम, त्याग और सम्मान की भावना बढ़ती है।

 

3. भाई दूज का संदेश:

यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में भाई-बहन का रिश्ता कितना अनमोल होता है। एक सच्चा भाई अपनी बहन की रक्षा और उसके सम्मान का ख्याल रखता है, जबकि बहन भी अपने भाई की सुरक्षा और उन्नति के लिए सदैव प्रार्थना करती है।

भाई दूज की पूजा का महत्व

भाई दूज का पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि इससे परिवार में सामंजस्य और एकता भी बढ़ती है। यह त्योहार एक अवसर है जिसमें भाई-बहन एक दूसरे को अपने प्यार और समर्थन का एहसास दिलाते हैं। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक परंपरा है जो हमें अपने मूल्यों और संस्कारों की याद दिलाता है।

अतः, भाई दूज के इस शुभ अवसर पर अपनी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भाई की पूजा करें और उसे अपनी शुभकामनाओं से अभिभूत करें।

भाई दूज की कथा 

भाई दूज की कथा हिंदू धर्म में भाई-बहन के पवित्र संबंध को समर्पित है। यह त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है और इसका संबंध मुख्य रूप से यमराज और उनकी बहन यमुनाजी से है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए थे। इस अवसर पर यमुनाजी ने भाई के स्वागत में विभिन्न पकवान बनाए और उनकी पूजा की। यमराज ने यमुना के घर जाकर भोजन किया और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक कराएगा, उसे लंबी आयु और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी।

कथा के अनुसार, यमुनाजी अपने भाई यमराज से मिलने के लिए हमेशा प्रतीक्षारत रहती थीं। एक दिन यमराज ने बहन का निमंत्रण स्वीकार किया और उनके घर पहुंचे। यमुनाजी ने हर्षित होकर भाई का स्वागत किया, उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया, और उनकी लंबी उम्र की कामना करते हुए तिलक किया। यमराज ने प्रसन्न होकर यमुनाजी से वरदान मांगने को कहा। यमुनाजी ने अपने भाई से वरदान मांगा कि वर्ष में एक दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक कराए और भोजन करे, जिससे उसकी उम्र लंबी हो और उसे यमलोक का भय न हो। यमराज ने उनकी यह इच्छा पूरी की और तभी से भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा।

इसके अतिरिक्त एक और पौराणिक कथा है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा का उल्लेख आता है। नरकासुर का वध करने के बाद जब श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा के पास पहुंचे तो उन्होंने उनका स्वागत किया, आरती उतारी, तिलक लगाया और उनकी लंबी उम्र की कामना की। इस घटना को भी भाई दूज पर्व से जोड़ा जाता है।

भाई दूज का त्योहार बहन द्वारा भाई के प्रति प्रेम, सुरक्षा, और उसकी लंबी उम्र की कामना का प्रतीक है।

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Author: Suryodaya Samachar

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