Home » उत्तर प्रदेश » मिर्जापुर » Mirzapur news :- राम- वनवास से भी अधिक समय तक तपस्या कर घर लौटे अमरनाथ

Mirzapur news :- राम- वनवास से भी अधिक समय तक तपस्या कर घर लौटे अमरनाथ

Mirzapur news :- [रिपोर्टर तारा त्रिपाठी] भगवान राम तो चौदह वर्ष तक वनवास कर अपने वतन अयोध्या को लौटे थे किन्तु इस कलियुग में ब्लाक जमालपुर निवासी अमरनाथ उम्र 72 वर्ष, 1992में बाबरी मस्जिद विध्वन्स के दरम्यान कारसेवक के रूप में अयोध्या जाने के बाद राम के वनवास से भी अधिक समय तक तपस्या कर 35 वर्ष बाद अपने घर लौटे। घर वालों की अमरनाथ के लौटने की निराशा उस समय आशा में तब्दील हो गई जब साधू के वेश में अमरनाथ ने 16फरवरी ,रविवार की रात अपने घर के दरवाजे को खटखटाया और उनकी 95 वर्षीय बूढ़ी मां प्यारी देवी ने अपनी बहू चन्द्रावती से कही कि दरवाजे पर मेरे बेटे अमरनाथ की आवाज आ रही है। जाओ जल्द दरवाजा खोलो और उसे अंदर लाओ।

बहू चन्द्रावती को नहीं हुआ विश्वास

पहले तो बहू चन्द्रावती को विश्वास नहीं हुआ किन्तु मां के ममत्व में छिपा पुत्र-प्यार ने 35 वर्ष बाद भी अपने लड़के की आवाज की पहचान की मुहर लगा दी। अंत में मां का दृढ़विश्वास बहू से दरवाजा खुलवाने में सफल हुआ। दरवाजा खुलने के बाद साधू के वेश में ही अमरनाथ की पहचान हुई। पत्नी चन्द्रावती ने अपने पति, साधू के वेश में खड़े अमरनाथ के पैर छूये। एक दूसरे को देख दोनों की आंखें छलक उठीं। अमरनाथ को देख मां प्यारी देवी की आंखों से अश्रुधार बहने लगी। पुत्र को पुन:देख पाने की छोड़ चुकी आशा पर मां ने कहा कि भगवान राम ने ही मां-पुत्र का मिलन कराया है। मैं भगवान राम का सदा आभारी रहूंगी। 

Delhi New CM :- रेखा गुप्ता कौन हैं? जानें दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनने जा रही नेता का सफर

जानकी घाट पर अपना 35 वर्ष गुजारा

सुबह आस-पास के लोगों का इस अनहोनी घटना को करीब से देखने का तांता लग गया। अमरनाथ ने आपबीती बताते हुए कहा कि एक हफ्ते पहले मैं कुम्भ नहाने आया था। स्वप्न में मैंने अपनी मां को देखा और मां से मिलने का मेरा मन विचलित हो उठा। मैं मां से मिलने घर आ गया। दो दिन बाद मैं वहीं चला जाउंगा जहां मैं अयोध्या में दार्शनिक आश्रय जानकी घाट पर अपना 35 वर्ष गुजारा। अमरनाथ को अतुल 40 वर्ष नाम का एक लड़का व कुसुम, सोनिया, मोनू नाम की तीन लड़कियां हैं। पत्नी चन्द्रावती ने कहा कि अब मैं भी अपने के पति अमरनाथ के साथ ही जाउंगी किन्तु अमरनाथ ने उन्हें ले जाने से इनकार कर दिया है। अंत में अमरनाथ ने बताया कि 1992 में मैं कारसेवा से लौट रहा था तो जौनपुर में ट्रेन पर पथराव हो गया था।

पुलिस ने जेल भेजा था

मैं किसी तरह वाराणसी आया और यहां से पैदल जमालपुर अपने घर आया। यहां आने के बाद पुलिस मुझे जेल भेज दी। जेल से छूटने के बाद मेरा मन घर पर नहीं लगा। मैं पुन:अयोध्या को प्रस्थान कर गया और वहीं मेरा मन रम गया ।दो-तीन दिन बाद मैं अयोध्या चला जाउंगा।उनका भाई मुम्बई में रहते हैं। अपने भाई के घर आने की सुचना पर वो भी मुम्बई से घर को प्रस्थान कर चुके हैं ।

Suryodaya Samachar
Author: Suryodaya Samachar

खबर से पहले आप तक

Leave a Comment

Live Cricket

ट्रेंडिंग