Mamta Kulkarni expelled: जूना अखाड़े ने एक आधिकारिक बयान में घोषणा की है कि पूर्व अभिनेत्री और उनकी गुरु लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। यह निर्णय उस समय लिया गया जब अखाड़े के भीतर आंतरिक मतभेद और बढ़ते तनाव की खबरें सामने आईं।
किन्नर अखाड़े से निष्कासन का कारण
प्रेस विज्ञप्ति में ऋषि अजय दास ने कहा,
“किन्नर अखाड़े के संस्थापक के रूप में, मैं आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को इस पद से तत्काल प्रभाव से मुक्त कर रहा हूँ। उनकी नियुक्ति का उद्देश्य धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और ट्रांसजेंडर समुदाय के उत्थान में योगदान देना था, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारियों से भटक गई हैं।”
विवाद की शुरुआत तब हुई जब ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त किया गया, जिस पर संगठन के कई सदस्यों ने आपत्ति जताई। कई लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री में उनके अतीत का हवाला देते हुए इस पद के लिए उनकी उपयुक्तता पर सवाल उठाया। इस असहमति ने संगठन में गहरी दरारें पैदा कर दीं, जिसके कारण नेतृत्व को कठोर कदम उठाने पड़े।
अजय दास के गंभीर आरोप
अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर आरोप लगाया कि उन्होंने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर का पद देकर किन्नर अखाड़े की धार्मिक मर्यादाओं को कमजोर किया। उन्होंने कहा कि अभिनेत्री का आपराधिक इतिहास रहा है, और उनकी नियुक्ति विशेष रूप से चिंताजनक है।
उन्होंने लिखा, “ऐसे व्यक्ति को महामंडलेश्वर का पद देकर आप सनातन धर्म को किस तरह का गुरु दे रहे हैं? यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि नैतिकता और धार्मिक सिद्धांतों का भी सवाल है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल अनैतिक ही नहीं, बल्कि अखाड़े की मूल धार्मिक आस्थाओं के साथ विश्वासघात के समान है।
किन्नर अखाड़े में बढ़ती असहमति
इस फैसले के बाद किन्नर अखाड़े में अंदरूनी मतभेद और बढ़ गए हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी का समर्थन किया है। उन्होंने अजय दास के फैसले की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा,
“मैं पूछना चाहता हूं कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को निष्कासित करने वाले अजय दास कौन होते हैं?”
रिपोर्टों के अनुसार, अखाड़े के कुछ सदस्यों का दावा है कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने का निर्णय उनकी जानकारी के बिना लिया गया था।
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ममता कुलकर्णी की प्रतिक्रिया
पिछले शुक्रवार को, ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज के संगम घाट पर पिंडदान किया। एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा,
“यह महादेव और महाकाली का आदेश था। यह मेरे गुरु का निर्देश था। उन्होंने ही यह दिन चुना, मैंने कुछ नहीं किया।”
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का पक्ष
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा,
“किन्नर अखाड़ा, ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने जा रहा था। उनका नया नाम श्री यमाई ममता नंदगिरी रखा गया है। जब मैं यहां बात कर रहा हूं, तब सभी अनुष्ठान जारी हैं। वह पिछले डेढ़ साल से किन्नर अखाड़े और मेरे संपर्क में थीं। यदि वह चाहें, तो किसी भी धार्मिक पात्र का किरदार निभा सकती हैं, क्योंकि हम किसी की कला को अभिव्यक्त करने से नहीं रोकते।”
निष्कासन के बाद उठा विवाद
यह निष्कासन किन्नर अखाड़े और संत समाज में एक नई बहस को जन्म दे रहा है। जहां एक ओर कुछ लोग इसे अखाड़े की धार्मिकता और परंपरा को बनाए रखने का फैसला मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि यह एक अनुचित और पक्षपातपूर्ण निर्णय है। अब देखना होगा कि इस पूरे मामले में किन्नर अखाड़ा और संत समाज आगे क्या कदम उठाता है।

Author: Suryodaya Samachar
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