Panama Canal :- अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार (21 दिसंबर) को पनामा पर आरोप लगाया कि वह अमेरिकी जहाजों को पनामा नहर के इस्तेमाल के लिए अत्यधिक शुल्क वसूल रहा है। उन्होंने धमकी दी कि अगर पनामा ने इस स्थिति में सुधार नहीं किया, तो अमेरिका नहर पर फिर से नियंत्रण कर लेगा।
पनामा नहर का महत्व
पनामा नहर एक कृत्रिम जलमार्ग है, जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है। इसकी लंबाई 82 किलोमीटर है। यह जलमार्ग अमेरिका और पनामा दोनों के लिए आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। साल 1977 तक यह नहर अमेरिका के नियंत्रण में थी। 1999 तक इसे अमेरिका और पनामा ने संयुक्त रूप से संचालित किया, लेकिन उसके बाद इसका पूरा नियंत्रण पनामा को सौंप दिया गया।
डोनाल्ड ट्रंप का सोशल मीडिया पर बयान
डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, “हमारी नौसेना और व्यापारिक जहाजों के साथ पनामा द्वारा बहुत अनुचित व्यवहार किया गया है। यह धोखा अब बंद होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हम पनामा नहर को अपने नियंत्रण में ले लेंगे।”
पनामा नहर का निर्माण और इतिहास
पनामा नहर का निर्माण 1904 से 1914 के बीच अमेरिका ने किया। उस समय दक्षिण अमेरिका के सिरे से होकर यात्रा करने में काफी समय और लागत लगती थी। हालांकि, इसकी जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण इसे असंभव माना गया था। फ्रांस ने इस परियोजना से हाथ खींच लिया, लेकिन अमेरिका ने इसे पूरा किया। राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने इस परियोजना को “महाद्वीप का सबसे महत्वपूर्ण कार्य” बताया था।
1903 तक कोलंबिया ने पनामा को नियंत्रित किया
अमेरिका समर्थित तख्तापलट के बाद पनामा को स्वतंत्रता मिली और अमेरिका ने नहर बनाने और संचालित करने के अधिकार प्राप्त किए। अमेरिका ने इस परियोजना पर 300 मिलियन डॉलर खर्च किए, जो उस समय तक सबसे महंगा प्रोजेक्ट था।
पनामा नहर पर ट्रंप बनाम पनामा
डोनाल्ड ट्रंप की धमकी का जवाब पनामा के राष्ट्रपति राउल मुनिलो ने दिया। उन्होंने कहा, “पनामा नहर के हर हिस्से पर हमारा अधिकार है और इसकी स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।” पनामा ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़ है।
अमेरिका के लिए नहर का महत्व
पनामा नहर अमेरिका के लिए बेहद अहम है। हर साल इस नहर से लगभग 14,000 जहाज गुजरते हैं और विश्व व्यापार का लगभग 6 प्रतिशत इसी रास्ते से होता है। पनामा नहर से जुड़ी पनामा कैनाल अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 75 प्रतिशत जहाज या तो अमेरिका जाते हैं या वहां से आते हैं।
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पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा चीन का प्रभाव
हाल के वर्षों में पनामा ने चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। साल 2017 में पनामा ने ताइवान के साथ संबंध तोड़ते हुए चीन के साथ साझेदारी कर ली। फिलहाल, पनामा नहर का संचालन हांगकांग की एक कंपनी करती है।
क्या होगा ट्रंप का अगला कदम?
डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है। हालांकि, उन्होंने अमेरिका को “असाधारण उदारता” के लिए दोषी ठहराते हुए कहा कि अगर पनामा ने सुधार नहीं किया, तो नहर को अमेरिका के नियंत्रण में लेने की मांग की जाएगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि व्हाइट हाउस में वापसी के बाद ट्रंप पनामा नहर पर क्या कदम उठाते हैं।
Author: Suryodaya Samachar
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