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Constitution day : इस भव्य तरीके से सोनभद्र में मनाया गया संविधान दिवस 

[रिपोर्टर रामेश्वर सोनी] सोनभद्र में आज मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर मीडिएट कॉलेज मुड़िलाडीह घोरावल सोनभद्र में संविधान दिवस को भव्यता से मनाया गया। कई बच्चों के द्वारा संविधान की प्रस्तावना को प्रस्तुत किया गया।साथ ही विद्यालय में संविधान दिवस पर क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन कराया गया।प्रधानाचार्य डी.पी.सिंह ने बच्चों को संबोधित किया। कॉलेज के शिक्षक शिक्षिकाएं एवं सैकड़ों बच्चे मौजूद रहे।

Constitution day :- आज मंगलवार को घोरावल, सोनभद्र के पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर मीडिएट कॉलेज, मुड़िलाडीह में संविधान दिवस को बड़े उत्साह और भव्यता के साथ मनाया गया। यह दिवस भारतीय लोकतंत्र और संविधान के प्रति हमारे सम्मान को व्यक्त करने के लिए समर्पित होता है। कॉलेज परिसर को इस अवसर के अनुरूप सजाया गया और हर कोना देशभक्ति के रंग में रंगा नजर आया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य डी.पी. सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके बाद बच्चों ने संविधान की प्रस्तावना को प्रस्तुत किया, जिससे पूरे माहौल में एक विशेष ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ। बच्चों की प्रस्तुतियां इतनी प्रभावशाली थीं कि सभी उपस्थित शिक्षकगण और दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट से उन्हें प्रोत्साहित करते रहे।

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संविधान की प्रस्तावना का महत्व

कार्यक्रम में बच्चों ने संविधान की प्रस्तावना को सामूहिक रूप से पढ़ा। प्रधानाचार्य ने अपने संबोधन में संविधान की प्रस्तावना का महत्व बताते हुए कहा कि यह भारतीय संविधान की आत्मा है। उन्होंने कहा कि संविधान में समता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता, और न्याय जैसे आदर्श निहित हैं जो हमारे समाज के मूल स्तंभ हैं।

प्रधानाचार्य ने बच्चों को संविधान के बारे में जागरूक करते हुए कहा कि यह दिन केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि हमें इसे अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। उन्होंने बच्चों को संविधान के अधिकारों और कर्तव्यों के महत्व को समझने की प्रेरणा दी।

क्विज प्रतियोगिता ने बढ़ाया उत्साह

संविधान दिवस के अवसर पर विद्यालय में एक क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बच्चों में काफी उत्साह देखा गया। इस प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों ने भारतीय संविधान और इसके इतिहास के बारे में अपने ज्ञान को साझा किया।

क्विज के विभिन्न राउंड्स में बच्चों से संविधान निर्माण से जुड़े सवाल पूछे गए। जैसे कि संविधान कब लागू हुआ, इसके निर्माण में प्रमुख योगदान देने वाले व्यक्ति कौन-कौन थे और संविधान में कितनी धाराएं हैं।

प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रधानाचार्य द्वारा सम्मानित किया गया। इस आयोजन ने बच्चों में संविधान के प्रति न केवल ज्ञान बल्कि गहरी समझ भी विकसित की।

शिक्षकों की भूमिका और प्रेरणा

विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी इस कार्यक्रम में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने बच्चों को संविधान के महत्व को समझाते हुए इसे पढ़ने और अनुसरण करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों ने बच्चों को भारतीय संविधान के निर्माण और इसके निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर और अन्य सदस्यों की भूमिका के बारे में जानकारी दी।

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एक शिक्षक ने बताया, “हमारा संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज को दिशा देने वाला आधार है। इसे समझना और इसका सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है।”

बच्चों का उत्साह और भविष्य का संदेश

संविधान दिवस के इस आयोजन ने बच्चों के बीच विशेष प्रेरणा जगाई। बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियों और भागीदारी से यह साबित किया कि वे देश के भविष्य हैं। उनकी रुचि और ज्ञान ने यह दर्शाया कि आज की पीढ़ी संविधान के महत्व को समझती है और इसे आत्मसात करने के लिए तैयार है।

Constitution day

इस आयोजन के अंत में प्रधानाचार्य ने सभी को संविधान दिवस की बधाई दी और धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल बच्चों में, बल्कि समाज में भी संविधान के प्रति जागरूकता फैलाने में सहायक होते हैं।

संविधान दिवस: एक राष्ट्रीय पर्व

संविधान दिवस, जिसे ‘राष्ट्रीय कानून दिवस’ भी कहा जाता है हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1949 में भारतीय संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अंगीकृत किया था जो 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन संविधान के महत्व को समझने और उसके आदर्शों को अपनाने का एक अवसर है।

Constitution day

पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर मीडिएट कॉलेज मुड़िलाडीह में आयोजित यह कार्यक्रम संविधान दिवस को यादगार बनाने में सफल रहा। इस आयोजन ने न केवल बच्चों को बल्कि सभी उपस्थित लोगों को भारतीय संविधान और उसके आदर्शों के प्रति जागरूक किया।

संविधान दिवस का यह आयोजन एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि संविधान को केवल पढ़ा ही नहीं जाना चाहिए बल्कि इसे आत्मसात करना चाहिए। बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियों से यह दिखा दिया कि वे देश के उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं। इस तरह के आयोजन बच्चों को न केवल शिक्षित करते हैं बल्कि उनके अंदर देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की भावना भी जागृत करते हैं।

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Author: Suryodaya Samachar

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