Jhansi News :- झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसमें एनआईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी, लेकिन सुरक्षा इंतजामों की कमी और कर्मचारियों की सतर्कता में कमी भी हादसे का बड़ा कारण माना जा रहा है।
आग की चपेट में आए नवजात: क्या था घटनास्थल का हाल?
गवाहों के मुताबिक, आग लगते ही पूरे एनआईसीयू में अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल का स्टाफ और नर्सें बच्चों को बचाने के लिए भाग-दौड़ करने लगे, लेकिन आग तेजी से फैल गई, जिससे बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हुई। कई नवजात धुएं में फंस गए और दम घुटने से उनकी मौत हो गई। वहां मौजूद कुछ परिजनों ने भी जान जोखिम में डालकर अपने बच्चों को बचाने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्यवश कई मासूमों को नहीं बचाया जा सका।
सुरक्षा मानकों की कमी: अस्पताल प्रशासन कटघरे में
यह हादसा अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जानकारों का मानना है कि एनआईसीयू जैसी संवेदनशील जगह पर आग बुझाने वाले उपकरण या फायर अलार्म काम नहीं कर रहे थे। स्थानीय प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं, और अस्पताल के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी जांच समिति गठित कर 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी है।
पहला हादसा नहीं: गोरखपुर और दिल्ली की घटनाओं की याद ताजा
यह दुखद घटना हमें गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 की त्रासदी की याद दिलाती है, जब ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से ज्यादा बच्चों की जान चली गई थी। वहीं, मई 2024 में दिल्ली के विवेक विहार स्थित बेबी केयर अस्पताल में आग लगने से 7 नवजात बच्चों की मौत ने भी देशभर में हड़कंप मचाया था। इन घटनाओं के बावजूद अस्पतालों में सुरक्षा मानकों पर कोई विशेष सुधार देखने को नहीं मिला है।
सुधार की दरकार: स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जनता में आक्रोश
झांसी हादसे के बाद परिजनों में भारी आक्रोश देखने को मिला, जो अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में आग से बचाव के लिए नियमित जांच और मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए।
अस्पताल प्रशासन का बयान और सरकार की कार्रवाई
अस्पताल प्रशासन ने अपनी सफाई में कहा है कि हादसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। साथ ही राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है।
आखिर कब सुधरेगी स्वास्थ्य व्यवस्था?
इस तरह की घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर कब तक अस्पताल, जो जीवन देने का कार्य करते हैं, खुद मौत का कारण बनते रहेंगे? यह हादसा एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि अस्पतालों में सुरक्षा मानकों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है और कब तक मासूम बच्चों की जान यूं ही जाती रहेगी।
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Author: Suryodaya Samachar
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