Amla Navmi 2024 :- आंवला नवमी का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है “नाशरहित” या “अक्षय” फल देने वाला। मान्यता है कि इस दिन आंवले की पूजा करने से सभी प्रकार की परेशानियाँ समाप्त होती हैं, और परिवार में समृद्धि एवं सुख का आगमन होता है।
आंवला नवमी का धार्मिक महत्व है कि इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति के सभी कष्टों का नाश होता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा भी इस दिन भक्तों पर बरसती है।
आंवला नवमी पूजा विधि
1. प्रातःकाल स्नान:
सबसे पहले, प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
2. आंवले के वृक्ष की पूजा:
इस दिन विशेष रूप से आंवले के वृक्ष के नीचे जाएं। वृक्ष की जड़ में गंगाजल या स्वच्छ जल अर्पित करें।
3. दीपक जलाएं:
वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और हल्दी, चावल, पुष्प और अगरबत्ती से पूजा करें।
4. भगवान विष्णु की पूजा:
आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु का स्मरण करें और उन्हें तुलसी दल, फल और मिष्ठान अर्पित करें।
5. वृक्ष की परिक्रमा:
आंवला वृक्ष की परिक्रमा करें। आमतौर पर 7 या 11 परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
6. भोग एवं प्रसाद:
आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करें और प्रसाद वितरण करें। इस दिन खिचड़ी, आंवले का मुरब्बा, तथा हलवा विशेष रूप से बनाया जाता है।
7. कथा का श्रवण:
आंवला नवमी की कथा सुनें या स्वयं पढ़ें। इससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
दान एवं व्रत का महत्व
दान:
इस दिन गाय, स्वर्ण, कपड़े, अनाज, और आंवला का दान विशेष फलदायी माना जाता है। इससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
व्रत का पालन:
आंवला नवमी पर व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप दूर होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत रखने वाले को फलाहार लेना चाहिए, जिसमें आंवला विशेष रूप से शामिल हो।
आंवला नवमी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु ने आंवला वृक्ष को अपनी वास स्थली चुना था। इसी कारण इसे विष्णु प्रिया भी कहते हैं। एक दिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा कि ऐसा कौन सा वृक्ष है जो पृथ्वी पर सबसे पवित्र है। तब भगवान विष्णु ने कहा कि “आंवला वृक्ष सबसे पवित्र और पूजनीय है।” उन्होंने कहा कि इसके फल का सेवन करने से सभी रोग दूर होते हैं और दीर्घायु प्राप्त होती है।
ध्यान रखने वाली बातें
इस दिन आंवला वृक्ष को न तो काटें और न ही इसके पत्तों को तोड़ें।
परिवार के सभी सदस्यों को आंवला नवमी की पूजा में सम्मिलित होना चाहिए।
अगर संभव हो, तो इस दिन आंवले का पौधा लगाएं। इससे पर्यावरण की भी रक्षा होती है और धार्मिक लाभ भी मिलता है।
इस प्रकार, आंवला नवमी की पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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Author: Suryodaya Samachar
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