Mirzapur news :- [रिपोर्टर तारा त्रिपाठी] मीरजापुर जिले के लालगंज तहसील में ग्राम न्यायालय को लेकर विवाद गरमा गया है। बुधवार को लालगंज तहसील के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे और ग्राम न्यायालय को ब्लॉक परिसर से तहसील परिसर में स्थित खाली बिल्डिंग में स्थानांतरित कराने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस संबंध में एक आवश्यक बैठक का आयोजन उपरौध अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडेय की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें अधिवक्ताओं ने एक स्वर में अपनी मांगों को प्रमुखता से उठाया।
ग्राम न्यायालय की वर्तमान स्थिति और समस्याएं
वर्तमान में ग्राम न्यायालय ब्लॉक परिसर के पास सड़क किनारे संचालित हो रहा है, जहां जगह की भारी कमी है। अधिवक्ताओं का कहना है कि न्यायालय के स्थान पर बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं है, जिससे वे बार और बेंच के सहयोग में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही, न्यायालय के सड़क के पास स्थित होने के कारण वहां दुर्घटनाओं की संभावना भी बनी रहती है। अधिवक्ताओं ने बार-बार यह मांग उठाई है कि ग्राम न्यायालय को ब्लॉक परिसर से हटाकर तहसील परिसर की खाली पड़ी बिल्डिंग में स्थानांतरित किया जाए, जिससे उनकी कार्यशैली और सुविधा दोनों में सुधार हो सके।
अधिवक्ताओं की मुख्य मांगें
अधिवक्ताओं का मुख्य आग्रह है कि ग्राम न्यायालय को एक सुरक्षित और सुविधाजनक स्थान पर ले जाया जाए। तहसील परिसर में पहले से ही एक खाली बिल्डिंग है, जिसे अधिवक्ताओं ने न्यायालय के संचालन के लिए उपयुक्त बताया है। उनका कहना है कि अगर न्यायालय को तहसील परिसर में स्थानांतरित किया जाता है, तो इससे न्यायिक कार्यों के संचालन में आसानी होगी और साथ ही दुर्घटनाओं से भी निजात मिलेगी।
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अधिवक्ताओं का विरोध और न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय
ग्राम न्यायालय के स्थानांतरण की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने कई बार प्रशासन को पत्राचार किया, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे अधिवक्ताओं में गहरी नाराजगी है। बुधवार को आयोजित बैठक में अधिवक्ताओं ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे न्यायालय स्थानांतरण की मांग पूरी होने तक न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। यह निर्णय न्यायपालिका पर दबाव बनाने और प्रशासन को उनकी मांगों पर ध्यान देने के लिए किया गया। इस विरोध के चलते बुधवार को लालगंज तहसील में न्यायिक कार्य पूरी तरह से ठप रहा। प्रस्ताव की एक प्रति सभी न्यायालयों में भेजी गई, ताकि इस मुद्दे को लेकर एकजुटता दिखाई जा सके।
ग्राम न्यायालय स्थानांतरण की मांग: एक नजर
ग्राम न्यायालयों की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को त्वरित और सुलभ न्याय प्रदान करना था, लेकिन लालगंज के अधिवक्ताओं का कहना है कि वर्तमान स्थान पर स्थित न्यायालय न तो अधिवक्ताओं के लिए सुविधाजनक है और न ही वहां आने वाले नागरिकों के लिए। तहसील परिसर में न्यायालय स्थानांतरित होने से न केवल अधिवक्ताओं को बैठने और काम करने के लिए बेहतर स्थान मिलेगा, बल्कि यह सुरक्षा के लिहाज से भी ज्यादा उचित होगा। सड़क किनारे स्थित न्यायालय में दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है, जो कि अधिवक्ताओं और वहां आने वाले लोगों दोनों के लिए चिंता का विषय है।
विरोध की रणनीति और भविष्य की योजना
बैठक में उपस्थित सभी अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर यह निर्णय लिया कि यदि प्रशासन जल्द से जल्द उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं करता है, तो वे अपने विरोध को और तेज करेंगे। इस अवसर पर उपरौध अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडेय ने कहा, “हमने बार-बार प्रशासन से मांग की है कि ग्राम न्यायालय को तहसील परिसर में स्थित खाली बिल्डिंग में स्थानांतरित किया जाए, लेकिन अभी तक हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया है। अब अधिवक्ताओं के पास न्यायिक कार्य से विरत रहने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।”
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अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। इस विरोध को व्यापक बनाने के लिए अधिवक्ता समिति ने निर्णय लिया है कि आने वाले दिनों में प्रशासन को एक और ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें ग्राम न्यायालय स्थानांतरण की मांग को लेकर अधिवक्ताओं की चिंता को विस्तार से रखा जाएगा।
बैठक में उपस्थित अधिवक्ताओं की भूमिका
बैठक में कई प्रमुख अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया और अपनी राय व्यक्त की। अध्यक्ष राजकुमार पांडेय के नेतृत्व में आयोजित इस बैठक में बालेंद्र कुमार यादव, अनिल कुमार शुक्ला, हृदय शंकर चतुर्वेदी, विपिन तिवारी, शिवम कुमार पांडे, परशुराम मौर्य, राकेश दुबे, प्रभु नाथ दुबे और अनिल मौर्य समेत अन्य अधिवक्ता उपस्थित थे। सभी अधिवक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि अगर प्रशासन जल्द ही इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाता है, तो वे अपने विरोध को जारी रखेंगे।
लालगंज तहसील के अधिवक्ताओं की मांगें उनके कार्यक्षेत्र और सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। ग्राम न्यायालय का स्थानांतरण न केवल अधिवक्ताओं के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। प्रशासन को इस मुद्दे पर जल्द से जल्द ध्यान देकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके और अधिवक्ताओं को अपनी जिम्मेदारियों को बिना किसी बाधा के निभाने का अवसर मिले।
Author: Suryodaya Samachar
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