*महाभावनिमग्न श्रीराधाबाबा के वचन*
अपने लिये भजन आपको ही करना पड़ेगा – प्रतिदिन आयु कम हो रही है, मृत्यु निकट आ रही है – इसे मत भूलें। मृत्युके बाद आपके न रहनेपर भी यहाँके किसी काममें कोई अड़चन न होगी, यह बिल्कुल ठीक मानिये ।
आप देखते हैं – परिवार में किसी प्रमुख व्यक्तिकी मृत्यु के समय कितना हाहाकार मचता है, पर पीछे सब अतीत के गर्भ में दब जाता है । उनका अभाव कितने आदमियों को खटकता है। यही दशा हम सबकी होगी । लोग भूल जायँगे और जगत् का काम ठीक जैसा चलना चाहिये, वैसा चलता रहेगा। पर आपके बिना एक काम नहीं ही होगा; आपके लिये भजन आपको ही करना पड़ेगा । इस काम की पूर्ति आपको ही करनी पड़ेगी।
इसलिये खूब गम्भीरता से मनको, जो यहाँ फँस रहा है, यहाँ से निकालकर आगे के सुधार में लगाइये ।
भगवत्प्राप्ति के सिवा कोई और स्थिति ऐसी नहीं है कि जो निर्भय हो, जहाँ से पतन का भय न हो । सर्वत्र अशान्ति है, सर्वत्र भय लगा हुआ है। इसलिये उस स्थितिको पाने में ही हमारी सार्थकता है, जिसे पाकर अशान्ति मिट जाय – अनन्त शान्ति मिल जाय, सदाके लिये हम सुखी हो जायँ । भजन करिए । भगवान का एकमात्र सहारा लीजिए।
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