Varanasi News :- ( रिपोर्टर अजय कुमार गुप्ता ) वाराणसी के रोहनिया थाना क्षेत्र के अखरी इलाके में स्थित इंद्रा अस्पताल और भू स्वामिनी के बीच चल रहे भूमि विवाद ने गुरुवार को बड़ा मोड़ ले लिया। इस घटना में अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस पर सिविल न्यायालय के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाया है।
क्या है मामला?
इंद्रा अस्पताल के चेयरमैन डॉ. चंद्रशेखर वर्मा ने सात-आठ साल पहले भू स्वामिनी जीरा देवी से आराजी नंबर 275 की 5.5 बिस्वा भूमि का एग्रीमेंट किया था। बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से जीरा देवी को 24.60 लाख रुपये भुगतान किया गया, जबकि भूमि की कुल कीमत 60 लाख रुपये तय हुई थी। समझौते के तहत यह तय हुआ कि रजिस्ट्री होने तक अस्पताल भू स्वामिनी को 10,000 रुपये प्रति माह किराए के रूप में देगा।
हालांकि, समय बीतने के बाद न तो रजिस्ट्री हुई और न ही भू स्वामिनी को भुगतान की गई रकम वापस की गई। इस बीच, अगस्त 2024 में जीरा देवी ने विवादित भूमि को गजाधरपुर के ग्राम प्रधान मंगरु यादव को सट्टा दे दिया।
गुरुवार को हुआ विवाद
गुरुवार को मंगरु यादव और जीरा देवी अस्पताल के उत्तरी गेट पर पहुंचे और ताला लगाने का प्रयास किया। अस्पताल प्रबंधन और नर्सिंग के छात्र-छात्राओं ने इसका विरोध करते हुए धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत कराते हुए थाने पर बुलाया।
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अस्पताल प्रबंधन का आरोप
डॉ. वर्मा का कहना है कि सिविल न्यायालय ने आदेश दिया है कि अस्पताल के उपयोग में कोई बाधा उत्पन्न नहीं की जाए। इसके बावजूद पुलिस ने गेट पर ताला लगवा दिया, जो न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। वर्मा ने इसे अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताया।
पुलिस का पक्ष
प्रभारी निरीक्षक विवेक कुमार शुक्ला ने कहा कि भू स्वामिनी द्वारा न्यायालय का यथास्थिति आदेश प्रस्तुत किया गया था। विवाद और संभावित झगड़े को रोकने के लिए गेट बंद करवाया गया।
ग्राम प्रधान का बयान
गजाधरपुर के ग्राम प्रधान मंगरु यादव ने कहा कि उन्होंने यह भूमि जीरा देवी से सट्टा ली है। ताला लगाना भू स्वामिनी का निर्णय था, और वह केवल उनके निर्देशों का पालन कर रहे थे।
स्थिति तनावपूर्ण, समाधान का इंतजार
घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। दोनों पक्ष अपने-अपने दावे पर अड़े हुए हैं। पुलिस ने दोनों पक्षों को कागजात के साथ थाने बुलाकर मामले को सुलझाने का प्रयास किया।
यह मामला भूमि विवादों के बढ़ते मामलों और न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के सवाल को एक बार फिर उजागर करता है। अब देखना यह है कि प्रशासन और न्यायालय इस विवाद का समाधान कैसे निकालते हैं।
Author: Suryodaya Samachar
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