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Up board hijab news Jaunpur and moradabad:- हिजाब के कारण नहीं देने दिया छात्राओं को परीक्षा, विधानसभा में मचा बवाल

UP board hijab news Jaunpur and moradabad :- उत्तर प्रदेश के जौनपुर और मुरादाबाद जिलों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से बोर्ड परीक्षा देने से रोके जाने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। इस मुद्दे को समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक कमाल अख्तर ने आज यूपी विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने इस घटना को शिक्षा के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया।

विधानसभा में उठी आवाज

विधानसभा सत्र के दौरान कमाल अख्तर ने सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि मुस्लिम बच्चियों को हिजाब पहनने की वजह से परीक्षा केंद्रों में प्रवेश नहीं देने का निर्णय संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह केवल एक धार्मिक मामला नहीं, बल्कि शिक्षा के अधिकार से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है।

स्पीकर ने लिया संज्ञान

इस बहस के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और सरकार से इस पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा। उन्होंने शिक्षा विभाग और प्रशासन से भी जवाब तलब करने को कहा कि किन नियमों के आधार पर छात्राओं को परीक्षा देने से रोका गया।

सरकार का रुख

सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग मामले की जांच कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि परीक्षा केंद्रों में किसी विशेष ड्रेस कोड का पालन करने का निर्देश नहीं दिया गया था, फिर भी अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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मुस्लिम समुदाय में नाराजगी

इस घटना के बाद मुस्लिम समुदाय में रोष देखा जा रहा है। विभिन्न सामाजिक संगठनों और धार्मिक नेताओं ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि हिजाब पहनना इस्लाम में महिलाओं की धार्मिक पहचान का हिस्सा है, और इसे पहनकर परीक्षा देने से किसी प्रकार की सुरक्षा या अनुशासन का उल्लंघन नहीं होता।

न्याय की मांग

छात्राओं के परिजनों ने भी प्रशासन से अपील की है कि उनकी बेटियों को परीक्षा में बैठने का पूरा अवसर दिया जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जाए। सपा सहित अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है और इसे एक भेदभावपूर्ण रवैया बताया है।

निष्कर्ष

यह मामला केवल हिजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों से जुड़ा हुआ है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या छात्राओं को न्याय मिल सकेगा। 

Suryodaya Samachar
Author: Suryodaya Samachar

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