राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा :- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी 2024 को होने वाली भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा तिथि को ‘प्रतिष्ठा दिवस’ के रूप में मनाया जाना चाहिए। उन्होंने इसे न केवल हिंदू समाज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया, बल्कि इसे भारतीय संस्कृति और गौरव का प्रतीक भी कहा।
राम मंदिर: एक यज्ञ, न कि आंदोलन
भागवत ने अपने संबोधन में राम मंदिर आंदोलन को किसी के विरोध में उठाया गया कदम मानने से इनकार किया। उन्होंने इसे हिंदू समाज के लिए एक यज्ञ और भारत के आत्मबोध का जागरण बताया। उनके अनुसार, यह आंदोलन भारत को उसके सांस्कृतिक ‘स्व’ की ओर ले जाने और आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाने का प्रयास था।
भव्य समारोह की तैयारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में आयोजित होने वाले इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को लेकर देशभर में उत्साह है। राम मंदिर को केवल एक भौतिक संरचना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और गौरव का प्रतीक माना जा रहा है।
संघर्ष और एकता का प्रतीक
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार ग्रहण करते हुए कहा कि राम मंदिर “हिंदुस्तान की मूंछ” का प्रतीक है। उन्होंने इस आंदोलन में भाग लेने वाले सभी ज्ञात-अज्ञात नायकों को यह सम्मान समर्पित किया। राय ने कहा कि वह केवल इस यज्ञ का एक माध्यम हैं और राम मंदिर भारत की सांस्कृतिक विरासत और संघर्ष का प्रतीक है।
देवी अहिल्याबाई स्मारक की घोषणा
इंदौर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान संस्था की अध्यक्ष और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने घोषणा की कि शहर में देवी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन और कार्यों को समर्पित एक भव्य स्मारक बनाया जाएगा। उन्होंने इसे नई पीढ़ी को प्रेरित करने और अहिल्याबाई के महान आदर्शों से जोड़ने का प्रयास बताया।
राम मंदिर की प्रतिष्ठा न केवल अयोध्या बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो हमारी सांस्कृतिक एकता और गौरव का प्रतीक बनेगा।
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Author: Suryodaya Samachar
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