Lucknow Breaking news :- लखनऊ में भ्रष्टाचार के मामले में दो पीसीएस (प्रादेशिक सिविल सेवा) अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के आरोप लगाए गए थे। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की और दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद उनकी जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह कार्रवाई राज्य सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत की गई है, ताकि सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके।
जौनपुर के मुख्य राजस्व अधिकारी गणेश प्रसाद और बिजनौर के एसडीएम आदेश सिंह सागर पर कार्रवाई
जौनपुर के मुख्य राजस्व अधिकारी (सीडीओ) गणेश प्रसाद और बिजनौर के एसडीएम आदेश सिंह सागर पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों के बाद कार्रवाई की गई है। दोनों अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं, और इस संदर्भ में प्रशासन ने उन्हें निलंबित करने या अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की दिशा में कदम उठाए हैं। यह कदम सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। अधिकारियों के खिलाफ की गई यह कार्रवाई राज्य सरकार की कड़ी निगरानी और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है।
एसडीएम आदेश सागर पर आरोप पीड़िता की जमीन का हिस्सा अपने कंप्यूटर ऑपरेटर के नाम करा के 4 लाख की घूस लेने का आरोप
बिजनौर के एसडीएम आदेश सिंह सागर पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक पीड़िता की ज़मीन का हिस्सा अपने कंप्यूटर ऑपरेटर के नाम करा दिया और इसके बदले 4 लाख रुपये की घूस ली। यह मामला भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। आरोपों के बाद प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और एसडीएम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगर आरोप सही पाए गए, तो उनके खिलाफ निलंबन या अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। यह कार्रवाई राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी नीति का हिस्सा है, जिससे सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके।
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पीसीएस गणेश प्रसाद और आदेश को निलबित कर राजस्व परिषद से किया गया अटैच
जौनपुर के मुख्य राजस्व अधिकारी (सीडीओ) गणेश प्रसाद और बिजनौर के एसडीएम आदेश सिंह सागर को वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। दोनों अधिकारियों को राजस्व परिषद से अटैच कर दिया गया है, जहां वे अब किसी भी सरकारी कार्य में संलग्न नहीं हो पाएंगे। यह कदम राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के खिलाफ उठाया गया है, ताकि सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके। जांच प्रक्रिया के दौरान दोनों अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संभावना है, अगर आरोप सिद्ध होते हैं।
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Author: Suryodaya Samachar
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