कजरी तीज : (जिसे कजली तीज भी कहा जाता है) मुख्य रूप से उत्तर भारत, खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
तिथि: भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया की 21 अगस्त शाम 5 बजकर 6 मिनट से प्रारंभ होगी।इसका समापन 22 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 46 पर होगा। उदया तिथि के चलते यह त्योहार 22 अगस्त को मनाया जाएगा।
यह त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। कजरी तीज हरियाली तीज के बाद आता है और इसका महत्व विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष रूप से होता है, जो अपने पति की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं।
कजरी तीज की पूजा विधि:
1. व्रत का संकल्प: कजरी तीज के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी स्नान कर साफ कपड़े पहनती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसमें महिलाएं जल और अन्न का सेवन नहीं करतीं।
2. पूजन सामग्री: पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र, बेलपत्र, दूब, पुष्प, रोली, चावल, हल्दी, चंदन, फल, मिठाई, नारियल, दीपक, धूप और प्रसाद तैयार किया जाता है।
3. पूजा का आयोजन: दिन में महिलाएं माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। उन्हें सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, आदि सुहाग सामग्री चढ़ाई जाती है। इसके बाद कथा सुनाई जाती है।
4. झूला रस्म: इस दिन महिलाएं सज-संवरकर झूला झूलती हैं और कजरी के गीत गाती हैं। यह दिन महिलाओं के लिए सामूहिक आयोजन और आनंद का प्रतीक होता है।
5. व्रत कथा सुनना: शाम के समय कजरी तीज की व्रत कथा सुनी जाती है। मान्यता है कि इस कथा को सुनने से पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली होती है।
6. व्रत का पारण: अगले दिन, सूर्योदय के बाद पूजा करने और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
कजरी तीज व्रत कथा:
व्रत कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण परिवार था, जिसमें पति-पत्नी अत्यंत धर्मपरायण और शिव भक्त थे। उनके घर में बहुत समय से कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति की कामना से उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती का कठोर तप किया। माता पार्वती उनके समर्पण से प्रसन्न हुईं और वरदान दिया कि उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। उनके तप से प्रेरित होकर गांव की अन्य महिलाओं ने भी कजरी तीज का व्रत रखा, और यह व्रत संतान सुख, वैवाहिक सुख, और परिवार की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना गया।
कजरी तीज का व्रत प्रेम, त्याग, और समर्पण का प्रतीक है। यह महिलाओं के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने का पर्व है, जिसमें वे अपने परिवार की भलाई के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव-पार्वती की आराधना करती हैं।
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