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Dev Deepawali 2024: देव दीपावली क्यों मनाते हैं, जानें तिथि, समय, इतिहास, महत्व और अनुष्ठान….

Dev Deepawali 2024 :- देव दिवाली हिंदू धर्म के सबसे शुभ त्योहारों में से एक है, जिसे अपार हर्ष और खुशी के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन गंगा में पवित्र स्नान करके और शाम को मिट्टी के दीपक जलाकर मनाया जाता है।

शाम होते ही लाखों मिट्टी के दीये गंगा किनारे घाटों की सीढ़ियों को रोशन कर देते हैं।चूंकि त्योहार नजदीक आ रहा है, इसलिए आपको इस त्योहार के बारे में सब कुछ जानना चाहिए।

Dev Deepawali 2024: एक अनोखा पर्व

देव दीपावली हिंदू संस्कृति का एक पवित्र और अनोखा पर्व है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसे “देवताओं की दीपावली” भी कहा जाता है। देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो दीवाली के ठीक 15 दिन बाद आती है। इस दिन को भगवान शिव और अन्य देवताओं के स्वागत और आभार प्रकट करने का दिन माना जाता है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन देवता धरती पर आते हैं।

Dev Deepawali 2024 :- पौराणिक कथा

देव दीपावली के पीछे मुख्य पौराणिक कथा है त्रिपुरासुर वध की। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने इस दिन तीन असुरों—त्रिपुरासुर—का संहार कर देवताओं को भय मुक्त किया था। इस जीत की खुशी में सभी देवता दिव्य प्रकाश उत्सव में सम्मिलित हुए और धरती पर दीप जलाकर उत्सव मनाया। तब से ही इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

धार्मिक महत्व

इस दिन गंगा नदी के तटों पर विशेष रूप से वाराणसी में दीपों की अद्भुत छटा देखने को मिलती है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है। इसी कारण लाखों श्रद्धालु इस दिन गंगा स्नान करते हैं और दीपदान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन दीप जलाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

वाराणसी की देव दीपावली

वाराणसी में देव दीपावली का आयोजन अत्यधिक भव्य होता है। शाम होते ही गंगा घाटों पर हजारों दीये जलाए जाते हैं। यह नजारा मानो स्वर्ग की छवि प्रस्तुत करता है। घाटों पर आरती, भजन, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। विशेष रूप से गंगा महाआरती का दृश्य अत्यधिक मनमोहक होता है, जिसे देखने लोग देश-विदेश से आते हैं।

Dev Deepawali 2024

देव दीपावली का आध्यात्मिक संदेश

देव दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय, और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की प्रतीक है। यह पर्व हमें हमारे जीवन में प्रकाश और दिव्यता का संचार करने का संदेश देता है, ताकि हम अज्ञानता और अंधकार से मुक्ति पा सकें।

देव दीपावली एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्वितीय संगम है। यह न केवल पौराणिक कथाओं से जुड़ा है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से लोग भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन में प्रकाश और प्रेम का स्वागत करते हैं।

 

 

 

देव दीपावली 2024: तिथि और पूजा का समय

देव दिवाली हिंदू महीने कार्तिक की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह दिवाली के पंद्रहवें दिन आती है।

इस वर्ष यह 15 नवंबर 2024 को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन के लिए शुभ समय इस प्रकार है:

 

आयोजन दिनांक और समय (आईएसटी)
प्रदोषकाल देव दिवाली मुहूर्त 05:10 अपराह्न – 07:47 अपराह्न
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 15 नवंबर, 2024, सुबह 06:19 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त 16 नवंबर, 2024, 02:58 पूर्वाह्न  बजे

 

देव दीपावली 2024 : इतिहास और महत्व 

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। देव दिवाली शैतान पर भगवान शिव की विजय का प्रतीक है।

यह त्यौहार शिव के पुत्र भगवान कार्तिक की जयंती के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन हिंदू देवता बुराई पर अपनी विजय का जश्न मनाने के लिए स्वर्ग से उतरते हैं।

वे पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए भी एकत्र होते हैं, जिसे स्थानीय स्तर पर ‘कार्तिक स्नान’ के नाम से जाना जाता है।

हिंदू आस्थावानों का मानना ​​है कि पवित्र गंगा में स्नान करने से उनके पाप धुल जाते हैं और उनके घर में समृद्धि आती है।

इसके अतिरिक्त, भक्तजन शाम को मिट्टी के दीये जलाते हैं और जैसे ही रात होती है, लाखों मिट्टी के दीये गंगा के किनारे स्थित सभी मंदिरों की सीढ़ियों को रोशन कर देते हैं।

लाखों दीये न केवल गंगा घाटों को बल्कि बनारस के सभी मंदिरों को रोशन करते हैं।

 

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Suryodaya Samachar
Author: Suryodaya Samachar

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