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Caste based discrimination in prison:– जेलों में जाति के आधार पर काम देना अनुचित, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

Caste based discrimination in prison:– हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति-आधारित भेदभाव के मुद्दे पर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि वे जेलों में कैदियों के साथ हो रहे जातिगत भेदभाव को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं।इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी कैदियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या समुदाय से संबंध रखते हों। जेलों में भेदभावपूर्ण व्यवहार न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है, बल्कि यह मानवाधिकारों के खिलाफ भी है।

जेलों में होने वाले जाति-आधारित भेदभाव को लेकर सुप्रेमने कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने जेलों में होने वाले भेदभाव को न सिर्फ गलत बताया बल्कि इसके लिए राज्यों को निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, राज्यों को आदेश के अनुपालन में स्टेटस रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जेलों में होने वाले जाति-आधारित भेदभाव और अलगाव की रोकथाम की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह मैनुअल निचली जाति को सफाई और झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति को खाना पकाने का काम सौंपकर सीधे तौर पर भेदभाव करता है और यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।

जेल मैनुअल में करना होगा सुधार :

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं से जेलों में श्रम का अनुचित विभाजन हो रहा है और जाति आदि के आधार पर श्रम आवंटन की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जेल मैनुअल के प्रावधानों को संशोधित करने का निर्देश दिया है। इसके तहत जेल के मैनुअल में आदतन अपराधियों के संदर्भों को असंवैधानिक घोषित किया गया है। वहीं दोषी या विचाराधीन रजिस्ट्रार में जाति कॉलम को हटा दिए जाने के आदेश भी दिए गए हैं।

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अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश :

सुप्रीम कोर्ट ने जेलों के अंदर भेदभाव का स्वतः संज्ञान लिया और राज्यों से अदालत के समक्ष इस फैसले के अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में अनुपालन रिपोर्ट अदालत के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जेलों में सुधार कार्यक्रम लागू किए जाएं, ताकि कैदियों के बीच आपसी सद्भाव और सम्मान का वातावरण बनाया जा सके। राज्यों को जेलों में होने वाले भेदभाव पर निगरानी रखने और इस तरह की घटनाओं की जांच करने के लिए तंत्र विकसित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत में जेल सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो जेलों में सामाजिक भेदभाव को खत्म करने में मदद करेगा।

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Suryodaya Samachar
Author: Suryodaya Samachar

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