तुलसीदास जयंती 2024 : श्री गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती उनकी जन्म की याद में मनाई जाती है। इस वर्ष तुलसीदासजी की जयंती 12 अगस्त को मनाई जाएगी। गोस्वामी तुलसीदास जी एक महान , लेखक,संत थे, उनकी जन्म की याद में हर साल यह तिथी मनाई जाती है। तुलसीदास जी की जयंती सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथिको मनाया जाता है यह तिथि इस वर्ष 12 अगस्त को पड़ रही है।
तिथी एवं समय
सप्तमी तिथि प्रारंभ – 11 अगस्त 2024 को सुबह 05:44 बजे
सप्तमी तिथि समाप्त – 12 अगस्त 2024 को सुबह 07:55 बजे
इस साल तुलसीदास जी की 527 वीं जयंती मनाई जाएगी। तुलसीदास जी की जयंती शुभ दिनों में से एक मानी जाती है। रामचरितमानस ग्रंथ के लेखक तुसीदास जी का जन्म आत्मा राम और हुलसी देवी के घर में हुआ था।
तुलसीदास जी का संक्षेप में जीवन परिचय
माना जाता है कि तुलसीदास जी का जब जन्म हुआ था तो उन्होंने पहला शब्द राम बोला था इसलिए उनके बचपन का नाम ’ रामबोला ’ पड़ गया। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखी, आपको बता दें कि रामचरितमानस से पहले ऋषि वाल्मीकि द्वारा रामायण को संस्कृत में लिखा गया रामायण के बाद तुलसीदासजी ने रामचरितमानस का अवधी भाषा में वर्णन किया इसी कारण इन हैं वाल्मीकि का अवतार भी बोला जाता है। कहा जाता है कि तुलसीदास जी का जन्म पूरे 32 दांतों के साथ हुआ था और जन्म के समय वे रोए नहीं थे।
लोगों की बातों में आकर इनके माता-पिता ने इन्हें त्याग दिया, फिर एक दासी ने उनको पाला। उसकी मृत्यु के बाद तुलसीदास जी अनाथ हो गए फिर इनको गुरु नरहरिदास मिले और इनको इनकी गंतव्य तक पहुंचा राम नाम दिया।
एक कहानी और उनके बारे में कही जाती है कि अपने गुरु के कहने पर बहुत ही किशोरावस्था में तुलसीदास जी ने विवाह किया। विवाह करने के पश्चात वह अपने स्त्री में बहुत अनुरक्त हो गए कहा जाता है कि वह अपने पीहर भी जाती तो वह उनके पीछ-पीछे चल जाते। एक बार ऐसा ही हुआ कि उनकी पत्नी पीहर चली गई तो तुलसीदास जी को उनकी बहुत याद आई तो वे रातों रात उनके पीछे पीहर चले गए जब वहां पहुंचे तो उनकी पत्नी कोई अच्छा नहीं लगा, उन्होंने कहा इस हाड़ मांस के शरीर से तुम्हें इतना लगाव हो रहा है यदि तुम इतना ही प्रेम भगवान राम से करो तो शायद वह तुम्हें प्रत्यक्ष दर्शन दे दें। इतना सुनकर तुलसीदास जी का जीवन ही बदल गया वह तुरंत घर छोड़कर वहां से राम की खोज में निकल पड़े, रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथ की रचना कर डाली।
तुलसीदास जयंती 2024: उत्सव
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि तुलसीदास जी भगवान श्री राम के परम भक्त थे, इसलिए लोग भगवान राम की पूजा करते हैं और रामचरितमानस का पाठ करते हैं। मंदिरों में, समिति या प्रबंधन द्वारा अखंड रामचरितमानस पाठ और सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया जाता है। कुछ भक्त और अनुयायी गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को भोजन कराने के लिए भोजन के स्टॉल लगाते हैं। ब्राह्मण को कपड़े और भोजन दान करना बहुत पुण्य का काम माना जाता है और लोगों को बुजुर्गों या गुरुओं से आशीर्वाद लेना चाहिए। जो लोग रामचरितमानस का पाठ नहीं कर सकते, वे राम मंत्र का जाप करते हैं।
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तुलसीदास जी द्वारा लिखित रामचरितमानस श्लोक:
- राम नाम मनि दीप धारु जीह देहरी द्वार, तुलसी भीतर बहेराहूँ, जौ चहसी उजियार..!!
- राम नाम को कल्पतरु, कलि कल्याण निवासु, जो सुमिरत भयो भंग, ते तुलसी तुलसीदास..!!
- तुलसी भरोसे राम के, निर्भये होके सोये, अनहोनी होनी नहीं, होनी हो सो होये..!!
- काम क्रोध लोभ मोह जो लो मन में खाँ, तो लो पंडित मूर्ख, तुलसी एक समान..!!
- तुलसी इस संसार में, भाँति भाँति के लोग, सबसे हस मिल बोलिये, नदी नाव संजोग..!!
- दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण..!!
- तुलसी साथी विपत्ति के, विधि विनय विवेक, सहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक..!!
- कर्म प्रधान, विश्व करि राखा, जो जस करै, सो तस फल चाखा..!!
- चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर, तुलसीदास चंदन घीसे, तिलक देत रघुवीर..!!
- आवत हे हरषे नहीं नैनन नहीं स्नेह, तुलसी तहां न जाइये, कंचन बरसे मेह..!!
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