काशी तमिल संगमम:- केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने घोषणा की है कि इस बार काशी तमिल संगमम का आयोजन 15 फरवरी से 24 फरवरी तक होगा। उन्होंने बताया कि इस भव्य आयोजन के लिए पंजीकरण प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है। यह कार्यक्रम देश के उत्तर और दक्षिण के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
काशी और तमिलनाडु का ऐतिहासिक संबंध
काशी और तमिलनाडु का सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध सदियों पुराना है। काशी को भारतीय संस्कृति का केंद्र माना जाता है, जबकि तमिलनाडु अपनी प्राचीन परंपराओं, साहित्य और कला के लिए प्रसिद्ध है। काशी तमिल संगमम दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक माध्यम है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता को प्रदर्शित करता है।
आयोजन की प्रमुख विशेषताएं
इस दस दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां: तमिलनाडु के पारंपरिक नृत्य, संगीत और नाट्य प्रदर्शन काशी के दर्शकों के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे।
शैक्षणिक संगोष्ठी: विद्वानों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
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हस्तशिल्प और व्यंजन मेले: तमिलनाडु के हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजन प्रदर्शन के लिए विशेष स्टॉल लगाए जाएंगे।
आध्यात्मिक कार्यक्रम: काशी के प्रसिद्ध मंदिरों में विशेष पूजा और तमिलनाडु के धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होगा।
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को एक मंच पर लाना है। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है और राष्ट्रीय एकता के महत्व को रेखांकित करता है।
सहभागिता का महत्व
केंद्रीय मंत्री ने देशभर के लोगों से इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह अवसर भारत की सांस्कृतिक विरासत को समझने और सम्मानित करने का एक अनोखा अवसर प्रदान करेगा।
काशी तमिल संगमम भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को दर्शाने वाला एक अनूठा प्रयास है। इस आयोजन के माध्यम से न केवल सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे, बल्कि देशवासियों के बीच भाईचारे की भावना भी प्रबल होगी।
Author: Suryodaya Samachar
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