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US AI export Rule :- जो बाइडेन ने भारत को दिया बड़ा झटका

US AI export Rule: जो बाइडेन जो अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के आखिरी हफ्ते में हैं उन्होंने व्हाइट हाउस से जाते जाते भारत को बहुत बड़ा झटका दिया है और ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हार्डवेयर के निर्यात पर जो नया रेगुलेटरी ढांचा जारी किया है उसमें करीबी सहयोगियों की लिस्ट में भारत का नाम नहीं है।

बाइडेन प्रशासन का ये कदम भारत के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है और एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसका भारत की AI महत्वाकांक्षाओं पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

AI एक्सपोर्ट नियम में सहयोगियों की लिस्ट में भारत क्यों नहीं? (Why is India not in the list of partners in AI export rules?)

“फ्रेमवर्क फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिफ्यूजन” नाम से एक ‘अंतरिम नियम’ जारी किया गया है, जिसमें अमेरिकी सरकार ने हर देश के लिए AI चिप्स और GPU को बेचने के लिए विशिष्ट प्रतिबंधों के साथ तीन स्तर के देश बनाने का प्रस्ताव दिया है।

भारत इस वर्गीकरण के मध्य स्तर पर है और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका से आयात किए जा सकने वाले GPU की संख्या पर कुछ प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। इससे, भारत की घरेलू AI कंप्यूटिंग क्षमता का निर्माण करने के लिए 10,000 GPU खरीदने की चल रही प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।पहले स्तर जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के 18 सबसे करीबी सहयोगी शामिल हैं उन देशों पर लगभग कोई निर्यात प्रतिबंध नहीं है।

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तीसरे स्तर में अमेरिका के लिए ‘चिंता के विषय’ वाले देश शामिल हैं जिन्हें टेक्नोलॉजी का निर्यात करने से लगभग प्रतिबंधित रखा गया है।

ऐसा लगता है कि नियमों का मकसद, एडवांस चिप्स और एआई मॉडल को अमेरिका और उसके निकटतम सहयोगियों के नियंत्रण में रखना है। हालांकि, इस नियम को आगे रखा जाता है या नहीं, ये 20 तारीख को आने वाले डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन पर निर्भर करेगा, लेकिन भारत के लिए ये बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।

अमेरिका ने देशों के तीन लिस्ट बनाए

TIER 1: प्रथम श्रेणी में अमेरिका के 18 नजदीकी सहयोगी देश शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, ताइवान और यूनाइटेड किंगडम।

अमेरिकी कंपनियां इन देशों में अपनी इच्छा के मुताबिक, ज्यादा से ज्यादा कंप्यूटिंग शक्ति तैनात कर सकती हैं और इन देशों में काम करने के लिए सुरक्षा की ज्यादा शर्तें भी नहीं रखी गई हैं।

TIER 2: भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देश इस श्रेणी में आते हैं। इन देशों को इस बात की सीमा का सामना करना पड़ेगा, कि वे अमेरिकी कंपनियों से कितनी कंप्यूटिंग शक्ति आयात कर सकते हैं, जब तक कि वह कंप्यूटिंग शक्ति विश्वसनीय और सुरक्षित वातावरण में होस्ट न की जाए।

इनमें से प्रत्येक देश को दी जाने वाली कंप्यूटिंग शक्ति के स्तरों पर सीमाएं हैं: 2027 तक लगभग 50,000 एडवांस AI चिप्स बेचने की सीमा रखी गई है, हालांकि यदि राज्य अमेरिका के साथ समझौता करता है, तो यह दोगुना हो सकता है।

भारत अपने IndiaAI मिशन के लिए 10,000 GPU खरीदने की कोशिश कर रहा है, और यह देखा जाना बाकी है कि यह नियम, बड़ी कंपनियों को कैसे प्रभावित कर सकता है, जो बड़े AI डेटा सेंटर बनाने की तलाश में हैं। छोटी फर्मों पर इसका असर पड़ने की संभावना नहीं है।

TIER 3: इन देशों को अमेरिकी टेक्नोलॉजी का निर्यात लगभग प्रतिबंधित कर दिया जाएगा, जिनमें रूस, चीन, लीबिया और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं।

भारत और चीन के लिए स्पेशल प्रावधान

देशों को तीन लिस्ट में बांटने के अलावा, इस नये कानून में एक विशेष समीक्षा की भी कल्पना की गई है, जिसे जनरल वेलिडेटेड एंड यूजर्स यानि सामान्य मान्य अंतिम उपयोगकर्ता कहा जाता है। इस सूची में सिर्फ दो देश शामिल हैं: भारत और चीन।

इस प्राधिकरण को प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनियां निर्यात की गई वस्तुओं का उपयोग नागरिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए कर सकती हैं, लेकिन परमाणु उपयोग के लिए नहीं। इस प्राधिकरण वाली चीनी कंपनियां सिर्फ नागरिक उपयोग के लिए ही टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सकती हैं।

Nvidia ने नये कानून की आलोचना की

Nvidia, जिसका वर्तमान में एआई जीपीयू पर लगभग एकाधिकार है, उसने एआई प्रसार नियमों के खिलाफ एक तीखा बयान जारी किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा है, कि “अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में, बाइडेन प्रशासन 200 से ज्यादा पन्नों के नियम के दलदल के साथ अमेरिका के नेतृत्व को कमजोर करना चाहता है, जिसे गुप्त रूप से और उचित विधायी समीक्षा के बिना तैयार किया गया है।”

बयान में कहा गया है कि “यह व्यापक अतिक्रमण अमेरिका के प्रमुख अर्धचालकों, कंप्यूटरों, प्रणालियों और यहां तक कि सॉफ्टवेयर को वैश्विक स्तर पर कैसे डिजाइन और बेचा जाता है इस पर नौकरशाही नियंत्रण लागू करेगा।”

बयान में बाइडेन और ट्रंप प्रशासन के बीच नजरिए में अंतर की तुलना की गई है। एनवीडिया ने कहा है, कि “पहले ट्रंप कार्यकाल में एआई में अमेरिका की वर्तमान ताकत और सफलता की नींव रखी गई और एक ऐसा माहौल तैयार किया गया, जहां अमेरिकी उद्योग राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना योग्यता के आधार पर प्रतिस्पर्धा और जीत सकते थे।”

इसने बयान में कहा है कि “किसी भी खतरे को कम करने के बजाय, बाइडेन के नये नियम सिर्फ अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर करेंगे, और उस इनोवेशन को कमजोर करेंगे, जिसने अमेरिका को आगे रखा है।”

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Author: Suryodaya Samachar

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