*परम श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज के वचन – तुम्हारा काम इतना ही है*
- भगवान् ने तो सबको, मात्र जीवोंको अपने शरण ले रखा है। इसलिये वे किसीसे पूछते ही नहीं कि तुम्हारेको कहाँ जन्म दें, किस माँके यहाँ जन्म दें। अब *हमें केवल अपनी तरफसे उनके शरण होना है।* यह सबसे श्रेष्ठ साधन है।
*भगवान् कहते हैं कि तुम्हारा काम इतना ही है कि मेरे शरण में हो जाओ, बाकी सब काम मैं करूँगा।* सब पापोंसे मुक्त मैं करूँगा, तुम्हारेको मुक्ति करनी नहीं पड़ेगी। जैसे, छोटे बालकको स्नान कराना, कपड़े पहनाना, मल-मूत्र साफ करना आदि सब काम माँ करती है। बालकको कुछ करना नहीं पड़ता। बालकका सब काम करके माँ प्रसन्न होती है। माँको आनन्द आता है।
गाय खुद ही बछड़ेको चाटकर साफ करती है तो इससे गायको आनन्द आता है। जो गाय बछड़ेको चाटकर साफ करती है, उस गायका दूध बढ़ता है! अगर बछड़ेको धोकर, साफ कर दिया जाय तो गायका दूध कम होता है। अगर घासमें गोबर-गोमूत्रकी गन्ध हो तो गाय घास नहीं खाती। पर वही गोबर – गोमूत्र बछड़ेमें लगा हुआ है, पर उसको चाटकर साफ करनेमें गायको आनन्द आता है! ऐसे ही *भगवान्को भी पापोंसे मुक्त करनेमें आनन्द आता है !*
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Author: Avantika Singh




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