Faith in God (विश्वास) : क्या ऐसा विश्वास हमें अपने भगवान् पर होता है जैसा विश्वास एक ट्रेन यात्री को ड्राइवर पर होता है। यात्री निश्चिन्त होकर ट्रेन में सो जाता है क्योंकि उसे ड्राइवर पर विश्वास रहता है। क्या किसी को सन्देह रहता है कि वह एक्सीडेंट कर देगा, नहीं !
जब कोई मरीज अपना ऑपरेशन करवाता है तो मरीज डॉक्टर के आगे अपने शरीर को सौंप देता है क्योंकि उसे डॉक्टर पर भरोसा रहता है कि यह हमें मरने नहीं देगा ! क्या किसी मरीज को सन्देह रहता है कि डॉक्टर हमें मार देगा, यदि सन्देह होता तो हम नहीं कराते ऑपरेशन !
बाल कटाने वाले को एक नाई पर विश्वास होता है कि जैसा मैंने कहा है यह वैसी ही कटिंग करेगा ! ऐसा सन्देह नहीं रहता कि यह मेरा मुण्डन कर देगा !
इन सब पर हमें विश्वास होता है लेकिन भगवान् पर हम सबको संशय रहता है कि मैं जो भक्ति कर रहा हूं, भजन कर रहा हूं, उसे भगवान् देख रहे हैं या नहीं ? यह सन्देह सारे संसार को है ! इसलिए हम विकट परिस्थिति में विचलित हो जाते हैं क्योंकि हमें विश्वास ही नहीं है !
अगर मरीज को डॉक्टर पर विश्वास ना हो तो डॉक्टर के पास कोई जाता ही नहीं ! हम और सब पर विश्वास करते हैं लेकिन भगवान् पर नहीं ! आर्टिफिशियल रूप से हम भगवान् को मानते हैं ! भगवान् पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। मान लो हम नामजप कर रहे और अचानक शरीर में कोई बहुत बड़ा रोग आ गया तो हम तत्काल भगवान् को छोड़ देते हैं
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क्योंकि भगवान् पर हमें संदेह है! जहां संदेह है वहां विश्वास नहीं! विश्वास हो तो मीराबाई जैसा, जो विष पीकर भी बच गई! क्योंकि उन्हें विश्वास था! मेरा कृष्ण मुझे मरने नहीं देगा! प्रह्लाद को समुद्र में फेंका गया, फिर भी वे कैसे बच गये? होलिका में प्रह्लाद को बिठाकर जलाया गया, फिर भी वे क्यों बच गये? शबरी के घर भगवान् श्रीराम को क्यों आना पड़ा? 70 वर्षों से प्रत्येक दिन फूलों की माला माता शबरी बिछाया करती थी कि मेरे राम मेरे घर आएंगे, अवश्य आएंगे! क्योंकि उन्हें प्रबल विश्वास था! नवधा भक्ति में सबसे बड़ी भक्ति विश्वास की भक्ति को कहा गया है जिसका श्रीराम ने माता शबरी को उपदेश दिया था!
विश्वास ऐसा हो कि हम सर्प को अपने हाथों में पकड़ सके – यह विश्वास करके कि मेरा कृष्ण मुझे मरने नहीं देगा क्योंकि उस सर्प के अंदर भी कृष्ण है! विश्वास करके तो देखिए इसका परिणाम (रिजल्ट) स्वयं को मिलेगा! अगर हमारा विश्वास प्रबल होगा तो वह सर्प हमें स्पर्श भी नहीं कर पायेगा! जब पूर्ण विश्वास हो, यह तभी संभव है अन्यथा नही !
भगवान् वहीं हैं, जहां दृढ़ विश्वास है! जहां विश्वास नहीं, वहां भगवान् नहीं! भक्त के अटल विश्वास के आगे भगवान् को भी हारना पड़ा है! इसलिए विश्वास ऐसा हो जैसा तुलसीदासजी को था…….
*तुलसी भरोसे राम के निर्भय होके सोए*
*अनहोनी होनी नहीं होनी हो सो होए*
नाम जाप करें, भक्ति करें, भजन करें लेकिन दृढ़ विश्वास के साथ कि मेरे प्रभु हर पल, प्रत्येक सेकंड मेरे साथ हैं। जब अनंत ब्रह्मांड का मालिक मेरे साथ है तो किसी की ताकत नहीं कि मेरा कुछ भी बिगाड़ सके। उनकी शक्ति के आगे सभी फेल हैं।
उनके इशारे मात्र से ही अनंत ब्रह्मांड गतिमान है! सूरज, चांद, अनंत तारे उनके इशारे का ही खेल है! हमारे लिए कोई कार्य असंभव हो सकता है क्योंकि जीवात्मा की शक्ति अल्प है। लेकिन उनके लिए प्रत्येक कार्य संभव है क्योंकि वह परमात्मा है, विराट शक्ति है, वे जो चाहे कर सकते हैं! असंभव को भी संभव कर दे, वही परमात्मा है – बस उन पर अटल विश्वास हो!
*मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा।*
*पंचम भजन सो बेद प्रकासा॥*(गोस्वामी तुलसीदासजी)
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